Ashwin Navratri Ghat (Kalas) Sthapana Muhurt,Vidhi Vidhan (28-September-2011)saardiya navratra sep-2011, Ashwin navratra,Ghatasthapna, Ghat Sthapna performed, muharat, muhrat, auspicious tima for Ghat Sthapan, Ghat sthapana, Ashwin Navratri, auspicious time for kalash sthapan, sharad-navratri, navratri, second-navratri, navratri-2011, navratri-puja, navratra-story, third-navratri, fourth-navratri, navratri-festival, navratri-pooja, navratri puja-2011, Durga Pooja, durga pooja 201, ashvin Navratri Celebrations 28 sep 2011, नवरात्र घट स्थापन– 2011, नवरात्र कलश स्थापन, मुहूर्त, मूहूर्त, नवरात्र व्रत, नवरात्र प्रारम्भ, नवरात्र महोत्सव, नवरात्र पर्व, नवरात्रि, नवरात्री, नवरात्रि पूजन विधि, नवरात्रि के दौरान, નવરાત્રઘટસ્થાપન– 2011, નવરાત્રકલશસ્થાપન, મુહૂર્ત, મૂહૂર્ત, નવરાત્રવ્રત, નવરાત્રપ્રારમ્ભ, નવરાત્રમહોત્સવ, નવરાત્રપર્વ, નવરાત્રિ, નવરાત્રી, નવરાત્રિપૂજનવિધિ, નવરાત્રિકેદૌરાન, ನವರಾತ್ರಘಟಸ್ಥಾಪನ– 2011, ನವರಾತ್ರಕಲಶಸ್ಥಾಪನ, ಮುಹೂರ್ತ, ಮೂಹೂರ್ತ, ನವರಾತ್ರವ್ರತ, ನವರಾತ್ರಪ್ರಾರಮ್ಭ, ನವರಾತ್ರಮಹೋತ್ಸವ, ನವರಾತ್ರಪರ್ವ, ನವರಾತ್ರಿ, ನವರಾತ್ರೀ, ನವರಾತ್ರಿಪೂಜನವಿಧಿ, ನವರಾತ್ರಿಕೇದೌರಾನ, நவராத்ரகடஸ்தாபந– 2011, நவராத்ரகலஶஸ்தாபந, முஹூர்த, மூஹூர்த, நவராத்ரவ்ரத, நவராத்ரப்ராரம்ப, நவராத்ரமஹோத்ஸவ, நவராத்ரபர்வ, நவராத்ரி, நவராத்ரீ, நவராத்ரிபூஜநவிதி, நவராத்ரிகேதௌராந, నవరాత్రఘటస్థాపన– 2011, నవరాత్రకలశస్థాపన, ముహూర్త, మూహూర్త, నవరాత్రవ్రత, నవరాత్రప్రారమ్భ, నవరాత్రమహోత్సవ, నవరాత్రపర్వ, నవరాత్రి, నవరాత్రీ, నవరాత్రిపూజనవిధి, నవరాత్రికేదౌరాన, നവരാത്രഘടസ്ഥാപന– 2011, നവരാത്രകലശസ്ഥാപന, മുഹൂര്ത, മൂഹൂര്ത, നവരാത്രവ്രത, നവരാത്രപ്രാരമ്ഭ, നവരാത്രമഹോത്സവ, നവരാത്രപര്വ, നവരാത്രി, നവരാത്രീ, നവരാത്രിപൂജനവിധി, നവരാത്രികേദൗരാന, ਨਵਰਾਤ੍ਰਘਟਸ੍ਥਾਪਨ– 2011, ਨਵਰਾਤ੍ਰਕਲਸ਼ਸ੍ਥਾਪਨ, ਮੁਹੂਰ੍ਤ, ਮੂਹੂਰ੍ਤ, ਨਵਰਾਤ੍ਰਵ੍ਰਤ, ਨਵਰਾਤ੍ਰਪ੍ਰਾਰਮ੍ਭ, ਨਵਰਾਤ੍ਰਮਹੋਤ੍ਸਵ, ਨਵਰਾਤ੍ਰਪਰ੍ਵ, ਨਵਰਾਤ੍ਰਿ, ਨਵਰਾਤ੍ਰੀ, ਨਵਰਾਤ੍ਰਿਪੂਜਨਵਿਧਿ, ਨਵਰਾਤ੍ਰਿਕੇਦੌਰਾਨ, নৱরাত্রঘটস্থাপন– 2011, নৱরাত্রকলশস্থাপন, মুহূর্ত, মূহূর্ত, নৱরাত্রৱ্রত, নৱরাত্রপ্রারম্ভ, নৱরাত্রমহোত্সৱ, নৱরাত্রপর্ৱ, নৱরাত্রি, নৱরাত্রী, নৱরাত্রিপূজনৱিধি, নৱরাত্রিকেদৌরান, ନବରାତ୍ରଘଟସ୍ଥାପନ– 2011, ନବରାତ୍ରକଲଶସ୍ଥାପନ, ମୁହୂର୍ତ, ମୂହୂର୍ତ, ନଵରାତ୍ରଵ୍ରତ, ନଵରାତ୍ରପ୍ରାରମ୍ଭ, ନଵରାତ୍ରମହୋତ୍ସଵ, ନଵରାତ୍ରପର୍ଵ, ନଵରାତ୍ରି, ନଵରାତ୍ରୀ, ନଵରାତ୍ରିପୂଜନଵିଧି, ନଵରାତ୍ରିକେଦୌରାନ,
आश्विन शुक्ल प्रतिपदा अर्थात नवरात्री का पहला दिन। इसी दिन से ही आश्विनी नवरात्र का प्रारंभ होता हैं। जो अश्विन शुक्ल नवमी को समाप्त होते हैं, इन नौ दिनों देवि दुर्गा की विशेष आराधना करने का विधान हमारे शास्त्रो में बताया गया हैं। परंतु इस वर्ष तृतिया तिथी का क्षय होने के कारण नवरात्र नौ दिन की जगह आठ दिनो के होंगे। GURUTVA KARYALAY, GURUTVA JYOTISH,
पारंपरिक पद्धति के अनुशास नवरात्रि के पहले दिन घट अर्थात कलश की स्थापना करने का विधान हैं। इस कलश में ज्वारे(अर्थात जौ और गेहूं ) बोया जाता है। GURUTVA KARYALAY, GURUTVA JYOTISH,
घट स्थापनकी शास्त्रोक्त विधि इस प्रकार हैं। GURUTVA KARYALAY, GURUTVA JYOTISH,
घट स्थापना आश्विन प्रतिपदा के दिन कि जाती हैं।
घट स्थापना हेतु चित्रा नक्षत्र और वैधृतियोग को वर्जित माना गया हैं। (चित्रा नक्षत्र 28 सितंबर 2011 को दोपहर 01:37:33बजे से लग रहा हैं।) घट स्थापना में चित्रा नक्षत्र को निषेध माना गया हैं। अतः घट स्थापना इससे पूर्व करना शुभ होता हैं।
विद्वनो के मत से इस वर्ष शुक्ल प्रतिपदा से शुरू होने वाले शारदीय नवरात्र में सूर्योदयी नक्षत्र हस्त नक्षत्र रहेगा। हस्त नक्षत्र को पूजन हेतु उत्तम माना जाता हैं। हैं। इस लिये सूर्योदय से 6.12 बजे के बाद से ही कलश (घट) की स्थापना करना शुभदायक रहेगा।
यदि ऎसे योग बन रहे हो, तो घट स्थापना दोपहर में अभिजित मुहूर्त या अन्य शुभ मुहूर्त में करना उत्तम रहता हैं। GURUTVA KARYALAY, GURUTVA JYOTISH,
कलश स्थापना हेतु शुभ मुहूर्त
- लाभ मुहूर्त सुबह 06:12 से 07:42 तक
- अमृत मुहूर्त सुबह 07:42 से 09:12 तक
- शुभ मुहूर्त सुबह 10:42 से 12:12 तक
- के मुहूर्त घट स्थापना का श्रेष्ठ मुहूर्त रहेंगे। GURUTVA KARYALAY, GURUTVA JYOTISH,
घट स्थापना हेतु सर्वप्रथम स्नान इत्यादि के पश्चयात गाय के गोबर से पूजा स्थल का लेपन करना चाहिए। घट स्थापना हेतु शुद्ध मिट्टी से वेदी का निर्माण करना चाहिए, फिर उसमें जौ और गेहूं बोएं तथा उस पर अपनी इच्छा के अनुसार मिट्टी, तांबे, चांदी या सोने का कलश स्थापित करना चाहिए। GURUTVA KARYALAY, GURUTVA JYOTISH,
यदि पूर्ण विधि-विधान से घट स्थापना करना हो तो पंचांग पूजन (अर्थात गणेश-अंबिका, वरुण, षोडशमातृका, सप्तघृतमातृका, नवग्रह आदि देवों का पूजन) तथा पुण्याहवाचन (मंत्रोंच्चार) विद्वान ब्राह्मण द्वारा कराएं अथवा अमर्थता हो, तो स्वयं करें।
पश्चयात देवी की मूर्ति स्थापित करें तथा देवी प्रतिमाका षोडशोपचारपूर्वक पूजन करें। इसके बाद श्रीदुर्गासप्तशती का संपुट अथवा साधारण पाठ करना चाहिए। पाठ की पूर्णाहुति के दिन दशांश हवन अथवा दशांश पाठ करना चाहिए। GURUTVA KARYALAY, GURUTVA JYOTISH,
घट स्थापना के साथ दीपक की स्थापना भी की जाती है। पूजा के समय घी का दीपक जलाएं तथा उसका गंध, चावल, व पुष्प से पूजन करना चाहिए।
पूजन के समय इस मंत्र का जप करें- GURUTVA KARYALAY, GURUTVA JYOTISH,
भो दीप ब्रह्मरूपस्त्वं ह्यन्धकारनिवारक।
इमां मया कृतां पूजां गृह्णंस्तेज: प्रवर्धय।।