Shop Our Product Online at: www.gurutvakaryalay.com

Archive for अक्टूबर, 2011

दीपावली पूजन मुहूर्त (26-अक्तूबर-2011)

deepawali 2011, 26 October, Subh Muhurat, auspicious timings,  deepawali 2011, Lakshmi Puja on deepavali 2011, Laxmi poojaa diwali date 2011, Deepawali- Festival of Light Festival History and Information od Dipawali, Deepawali, auspicious timings for Hindu festival Diwali, diwali celebrations, deepavali puja, deepawali pujan, deepavali, deewali, deepawali, diwali, divali, dipawali, deepavali 2011, festival of lights, diwali festival days, diwali five days festival, diwali festival days, diwali india, dhanteras, choti diwali, lakshmi puja, lakshmi puja on diwali, padwa, govardhan puja, Bhai Duj, bhai dooj, Diwali celebrations, Goverdhan Pooja, Bhratri Dooj, diwali 2011, diwali gifts, diwali india, diwali festival celebration, Get the information on five days of diwali, लक्ष्मीपूजन, लक्ष्मीपूजा, दिपावलीशुभमुहूर्त, दीपावलीशुभमहूरत, दिवालीकीपूजा, दिपावलीपरदीपदानलक्ष्मीपुजन, लक्ष्मीपुजा,दिपावली, दीपावली, दीपावलि, दिपावलि, दिवाली, दीवाली, दिवालि, दीवालि, दिबाली, दीपाबली, લક્ષ્મીપૂજન, લક્ષ્મીપૂજા, દિપાવલીશુભમુહૂર્ત, દીપાવલીશુભમહૂરત, દિવાલીકીપૂજા, દિપાવલીપરદીપદાનલક્ષ્મીપુજન, લક્ષ્મીપુજા, દિપાવલી, દીપાવલી, દીપાવલિ, દિપાવલિ, દિવાલી, દીવાલી, દિવાલિ, દીવાલિ, દિબાલી, દીપાબલી, ಲಕ್ಷ್ಮೀಪೂಜನ, ಲಕ್ಷ್ಮೀಪೂಜಾ, ದಿಪಾವಲೀಶುಭಮುಹೂರ್ತ, ದೀಪಾವಲೀಶುಭಮಹೂರತ, ದಿವಾಲೀಕೀಪೂಜಾ, ದಿಪಾವಲೀಪರದೀಪದಾನಲಕ್ಷ್ಮೀಪುಜನ, ಲಕ್ಷ್ಮೀಪುಜಾ, ದಿಪಾವಲೀ, ದೀಪಾವಲೀ, ದೀಪಾವಲಿ, ದಿಪಾವಲಿ, ದಿವಾಲೀ, ದೀವಾಲೀ, ದಿವಾಲಿ, ದೀವಾಲಿ, ದಿಬಾಲೀ, ದೀಪಾಬಲೀ, லக்ஷ்மீபூஜந, லக்ஷ்மீபூஜா, திபாவலீுபமுஹூர்த, தீபாவலீுபமஹூரத, திவாலீகீபூஜா, திபாவலீபரதீபதாநலக்ஷ்மீபுஜந, லக்ஷ்மீபுஜா, திபாவலீ, தீபாவலீ, தீபாவலி, திபாவலி, திவாலீ, தீவாலீ, திவாலி, தீவாலி, திபாலீ, தீபாபலீ, లక్ష్మీపూజన, లక్ష్మీపూజా, దిపావలీశుభముహూర్త, దీపావలీశుభమహూరత, దివాలీకీపూజా, దిపావలీపరదీపదానలక్ష్మీపుజన, లక్ష్మీపుజా, దిపావలీ, దీపావలీ, దీపావలి, దిపావలి, దివాలీ, దీవాలీ, దివాలి, దీవాలి, దిబాలీ, దీపాబలీ, ലക്ഷ്മീപൂജന, ലക്ഷ്മീപൂജാ, ദിപാവലീശുഭമുഹൂര്ത, ദീപാവലീശുഭമഹൂരത, ദിവാലീകീപൂജാ, ദിപാവലീപരദീപദാനലക്ഷ്മീപുജന, ലക്ഷ്മീപുജാ, ദിപാവലീ, ദീപാവലീ, ദീപാവലി, ദിപാവലി, ദിവാലീ, ദീവാലീ, ദിവാലി, ദീവാലി, ദിബാലീ, ദീപാബലീ, ਲਕ੍ਸ਼੍ਮੀਪੂਜਨ, ਲਕ੍ਸ਼੍ਮੀਪੂਜਾ, ਦਿਪਾਵਲੀਸ਼ੁਭਮੁਹੂਰ੍ਤ, ਦੀਪਾਵਲੀਸ਼ੁਭਮਹੂਰਤ, ਦਿਵਾਲੀਕੀਪੂਜਾ, ਦਿਪਾਵਲੀਪਰਦੀਪਦਾਨਲਕ੍ਸ਼੍ਮੀਪੁਜਨ, ਲਕ੍ਸ਼੍ਮੀਪੁਜਾ, ਦਿਪਾਵਲੀ, ਦੀਪਾਵਲੀ, ਦੀਪਾਵਲਿ, ਦਿਪਾਵਲਿ, ਦਿਵਾਲੀ, ਦੀਵਾਲੀ, ਦਿਵਾਲਿ, ਦੀਵਾਲਿ, ਦਿਬਾਲੀ, ਦੀਪਾਬਲੀ, লক্ষ্মীপূজন, লক্ষ্মীপূজা, দিপাৱলীশুভমুহূর্ত, দীপাৱলীশুভমহূরত, দিৱালীকীপূজা, দিপাৱলীপরদীপদানলক্ষ্মীপুজন, লক্ষ্মীপুজা, দিপাৱলী, দীপাৱলী, দীপাৱলি, দিপাৱলি, দিৱালী, দীৱালী, দিৱালি, দীৱালি, দিবালী, দীপাবলী, ଲକ୍ଷ୍ମୀପୂଜନ, ଲକ୍ଷ୍ମୀପୂଜା, ଦିପାଵଲୀଶୁଭମୁହୂର୍ତ, ଦୀପାବଲୀଶୁଭମହୂରତ, ଦିବାଲୀକୀପୂଜା, ଦିପାବଲୀପରଦୀପଦାନଲକ୍ଷ୍ମୀପୁଜନ, ଲକ୍ଷ୍ମୀପୁଜା, ଦିପାବଲୀ, ଦୀପାବଲୀ, ଦୀପାବଲି, ଦିପାଵଲି, ଦିଵାଲୀ, ଦୀବାଲୀ, ଦିବାଲି, ଦୀଵାଲି, ଦିବାଲୀ, ଦୀପାବଲୀ,
दीपावली पूजन मुहूर्त (26अक्तूबर2011)
लेखसाभार: गुरुत्वज्योतिषपत्रिका (अक्टूबर-2011)
मां लक्ष्मी कि कृपा प्राप्त करने हेतु एवं उनका स्थायी निवास हो सके इस उद्देश्य से घर-दुकान-व्यवसायिक कार्यालय में दीपावली के दिन लक्ष्मी पूजन हेतु दिन के सबसे शुभ मुहूर्त को लिया जाता हैं. इस वर्ष दीपावली का पर्व बुधवार , 26 अक्तूबर, 2011 में कार्तिक मास कि अमावस्या, चित्रा एवं स्वाति नक्षत्र में, प्रीती योग में मनाया जायेगा. दीपावली के दिन अमावस्या तिथि, प्रदोष काल, शुभ लग्न व चौघा़डिया मुहूर्त विशेष का अत्याधिक महत्व होता हैं। GURUTVA KARYALAY | GURUTVA JYOTISH
26 अक्तूबर, 2011 के दिन सूर्योदयी नक्षत्र चित्रा, लेकिन रात्री 09:43:33 बजेबाद स्वाती नक्षत्र रहेगा, इस दिन सूर्योदयी योग विष्कुंभ संध्या 06:29:37 बजे बाद प्रीति योग रहेगा। सूर्योदयी करण चतुष्पाद दोपहर 03:19:36 बजे पश्चयात नाग करण रहेगा। सूर्योदय के समय चन्द्रमा कन्या राशि में दोपहर 11:16:00 बजे तुला राशि में भ्रमण करेगा। GURUTVA KARYALAY | GURUTVA JYOTISH
प्रदोष काल 2 घण्टे एवं 24 मिनट का होता हैं। अपने शहर के सूर्यास्त समय अवधि से लेकर अगले 2 घण्टे 24 मिनट कि समय अवधि को प्रदोष काल माना जाता हैं। अलग- अलग शहरों में प्रदोष काल के निर्धारण का आधार सूर्योस्त समय के अनुशार निर्धारीत करना चाहिये।
दीपावली प्रदोष काल मुहूर्त अपने शहर के सूर्यास्त समय से 2 घन्टे 24 मिनट तक का समय शुभ मुहूर्त समय के लिये प्रयोग किया जाता हैं. इसे प्रदोष काल समय कहा जाता हैं। इस वर्ष 26 अक्तूबर, 2011 (दीपावली) को भारतीय समय अनुशार नई दिल्ली में सूर्यास्त संध्या 05 बज कर 42 मिनिट पर होगा। संध्या  05 बज कर 42 मिनिट से आरम्भ होकर रात के 08 बजकर 06 मिनट तक का समय प्रदोष काल रहेगा।GURUTVA KARYALAY | GURUTVA JYOTISH
26 अक्तूबर, 2011 को प्रदोष काल में भी स्थिर लग्न (वृषभराशि) हो रहा हैं, स्थिर लग्न का समय सबसे उतम माना जाता हैं। दिपावली के दिन प्रदोष काल व स्थिर लग्न दोनों का संयोग संध्या 06:46:37बजे से लेकर रात्री 08:42:04बजे तक का समय रहेगा। प्रदोष काल के दौरान संध्या 07:20 बजे से 08:58 बजे तक शुभ चौघडिया होने से मुहुर्त की शुभता में वृद्धि होती हैं। GURUTVA KARYALAY | GURUTVA JYOTISH
जिसमें विशेष रूप से श्री गणेशपूजन, श्री महालक्ष्मी पूजन, कुबेर पूजन, व्यापारिक खातों का पूजन, दीपदान एवं ……………..>>
>> Read Full Article Please Read GURUTVA JYOTISH  OCT-2011 .
दीपावलीचौघडियांमुहूर्त
दीपावलीचौघ़डियामुहूर्तसमय……………..>>
>> Read Full Article Please Read GURUTVA JYOTISH  OCT-2011
लक्ष्मी पूजा मुहूर्त दीपावाली के दिन
·         लाभ मुहूर्त सुबह में 6:13:50 से 7:40:53 तक
·         अमृत मुहूर्त सुबह में 7:40:53 से 09:07:57 तक
·         शुभ मुहूर्त दोपहर में ……………..>>
·         चर मुहूर्त दोपहर में 02:56:12 से 04:23:16 तक
·         लाभ मुहूर्त दोपहर में ……………..>>
·         शुभ मुहूर्त संध्या में 07:23:16  से 08:56:12 तक
·         शुभ मुहूर्त संध्या में 07:23:16  से 08:56:12 तक
·         अमृत मुहूर्त रात में ……………..>>
·         चर मुहूर्त रात में 10:29:08 से रात 12:02:04 तक
नोट: उपरोक्त वर्णित सूर्यास्त का समय निरधारण नई दिल्ली के अक्षांश रेखांश के अनुशार आधुनिक पद्धति से किया गया हैं। इस विषय में विभिन्न मत एवं सूर्यास्त ज्ञात करने का तरीका भिन्न होने के कारण सूर्यास्त समय का निरधारण भिन्न हो सकता हैं। सूर्यास्त समय का निरधारण स्थानिय सूर्यास्त के अनुशार हि करना उचित होगा।
संपूर्णलेखपढनेकेलियेकृप्यागुरुत्वज्योतिषपत्रिकाअक्टूबर2011 काअंकपढें।
इस लेख को प्रतिलिपिसंरक्षण (Copy Protection) के कारणो से यहां संक्षिप्त में प्रकाशित किया गया हैं।
>> गुरुत्वज्योतिषपत्रिका (अक्टूबर2011)
OCT-2011

पाठको की पसंद

मंत्र सिद्ध लक्ष्मी यंत्र सूचि

Mantra Siddha Yantra On Pure copper sheet (copper), gold sheets (gold), silver (silver) sheet, unbroken Sri Yantra (Laxmi yantra), mantra Siddha Sri Yantra (without spells), Sri Yantra (including all spells), Sri Yantra (Bisa yantra), Sri Yantra Shri Sukta yantra, Sri Yantra (Kurma Prusht, turtle dorsal), Lakshmi Bisa yantra, Sri Sri Yantra (Sri Lalita Mahatripur Sunderya shree Mahalkshmayan Sri Maha yantra), Ankatmk Bisa Yantra, Mahalkshmaya Beej Yantra, Mahalaxmi Bisa yantra, Lakshmi Dayak Bisa Lakshmi, Lakshmi daata Bisa Yantra, Laxmi Ganesh Yantra, jyeshta Lakshmi Mantra Pujan Yantra, Kanak Dhara Yantra, Vaibhav Lakshmi Yantra, (Mahan Siddhi Dayak Sri Mahalakshmi Yantra) शुद्ध ताम्र पत्र(तांबे), सुवर्ण पत्र(सोने), रजत(चांदी) पत्र पर निर्मित मंत्र सिद्ध, अखंडित श्री यंत्र (लक्ष्मी यन्त्र), मन्त्र सिद्ध श्री यंत्र (मंत्र रहित), श्री यंत्र (संपूर्ण मंत्र सहित), श्री यंत्र (बीसा यन्त्र), श्री यंत्र श्री सूक्त यंत्र, श्री यंत्र (कुर्म पृष्ठीय), लक्ष्मी बीसा यंत्र, श्री श्री यंत्र (श्री श्री ललिता महात्रिपुर सुन्दर्यै श्री महालक्ष्मयैं श्री महा यन्त्र), अंकात्मक बीसा यंत्र, महालक्ष्मयै बीज यंत्र, महालक्ष्मी बीसा यन्त्र, लक्ष्मी दायक सिद्ध बीसा यंत्र, लक्ष्मी दाता बीसा यंत्र, लक्ष्मी गणेश यंत्र, ज्येष्ठा लक्ष्मी मंत्र पूजन यंत्र, कनक धारा यंत्र, वैभव लक्ष्मी यंत्र (महान सिद्धि दायक श्री महालक्ष्मी यन्त्रम्), શુદ્ધતામ્રપત્ર(તાંબે), સુવર્ણપત્ર(સોને), રજત(ચાંદી) પત્રપરનિર્મિતમંત્રસિદ્ધ, અખંડિતશ્રીયંત્ર (લક્ષ્મીયન્ત્ર), મન્ત્રસિદ્ધશ્રીયંત્ર (મંત્રરહિત), શ્રીયંત્ર (સંપૂર્ણમંત્રસહિત), શ્રીયંત્ર (બીસાયન્ત્ર), શ્રીયંત્રશ્રીસૂક્તયંત્ર, શ્રીયંત્ર (કુર્મપૃષ્ઠીય), લક્ષ્મીબીસાયંત્ર, શ્રીશ્રીયંત્ર (શ્રીશ્રીલલિતામહાત્રિપુરસુન્દર્યૈશ્રીમહાલક્ષ્મયૈંશ્રીમહાયન્ત્ર), અંકાત્મકબીસાયંત્ર, મહાલક્ષ્મયૈબીજયંત્ર, મહાલક્ષ્મીબીસાયન્ત્ર, લક્ષ્મીદાયકસિદ્ધબીસાયંત્ર, લક્ષ્મીદાતાબીસાયંત્ર, લક્ષ્મીગણેશયંત્ર, જ્યેષ્ઠાલક્ષ્મીમંત્રપૂજનયંત્ર, કનકધારાયંત્ર, વૈભવલક્ષ્મીયંત્ર (મહાનસિદ્ધિદાયકશ્રીમહાલક્ષ્મીયન્ત્રમ્), 

मंत्रसिद्ध विशेषलक्ष्मी यंत्र सूचि
श्री यंत्र (लक्ष्मी यंत्र)
श्रीयंत्र (मंत्ररहित)
श्री यंत्र (संपूर्ण मंत्र सहित)
श्रीयंत्र (बीसा यंत्र)
श्रीयंत्र श्री सूक्त यंत्र
श्री यंत्र (कुर्म पृष्ठीय)
लक्ष्मीबीसा यंत्र
श्री श्री यंत्र (श्री श्री ललिता महात्रिपुर सुन्दर्यै श्री महालक्ष्मयैं श्री महा यंत्र)
अंकात्मक बीसा यंत्र
महालक्ष्मयै बीज यंत्र
महालक्ष्मी बीसा यंत्र
लक्ष्मी दायक सिद्ध बीसा यंत्र
लक्ष्मी दाता बीसा यंत्र
लक्ष्मीगणेशयंत्र
ज्येष्ठा लक्ष्मी मंत्र पूजन यंत्र
कनक धारा यंत्र
वैभव लक्ष्मी यंत्र (महान सिद्धि दायक श्री महालक्ष्मी यंत्र)
साईज
सुवर्णपोलीस
(Gold Plated)
रजतपोलीस
(Silver Plated)
ताम्रपत्रपर
(Copper)
मूल्य
मूल्य
मूल्य
2” X 2”
3” X 3”
4” X 4”
6” X 6”
9” X 9”
12” X12”
    640
  1250
  1850
  2700
  4600
  8200
460
820
1250
2100
 3700
6400
370
550
820
1450
2450
4600
यंत्र के विषय में अधिक जानकारी हेतु संपर्क करें।
GURUTVA KARYALAY
Call us: 91 + 9338213418, 91+ 9238328785
Mail Us: gurutva.karyalay@gmail.com, gurutva_karyalay@yahoo.in,
শুদ্ধতাম্রপত্র(তম্বা), সুবর্ণপত্র(সুনা), রজত(রূপা) পত্রপরনির্মিতমংত্রসিদ্ধ, অখংডিতশ্রীযংত্র (লক্ষ্মীযন্ত্র), মন্ত্রসিদ্ধশ্রীযংত্র (মংত্ররহিত), শ্রীযংত্র (সংপূর্ণমংত্রসহিত), শ্রীযংত্র (বীসাযন্ত্র), শ্রীযংত্রশ্রীসূক্তযংত্র, শ্রীযংত্র (কুর্মপৃষ্ঠীয), লক্ষ্মীবীসাযংত্র, শ্রীশ্রীযংত্র (শ্রীশ্রীললিতামহাত্রিপুরসুন্দর্যৈশ্রীমহালক্ষ্মযৈংশ্রীমহাযন্ত্র), অংকাত্মকবীসাযংত্র, মহালক্ষ্মযৈবীজযংত্র, মহালক্ষ্মীবীসাযন্ত্র, লক্ষ্মীদাযকসিদ্ধবীসাযংত্র, লক্ষ্মীদাতাবীসাযংত্র, লক্ষ্মীগণেশযংত্র, জ্যেষ্ঠালক্ষ্মীমংত্রপূজনযংত্র, কনকধারাযংত্র, ৱৈভৱলক্ষ্মীযংত্র (মহানসিদ্ধিদাযকশ্রীমহালক্ষ্মীযন্ত্রম্), ଶୁଦ୍ଧତାମ୍ରପତ୍ର(ତମ୍ବା), ସୁବର୍ଣପତ୍ର(ସୁନା), ରଜତ(ରୂପା) ପତ୍ରପରନିର୍ମିତମଂତ୍ରସିଦ୍ଧ, ଅଖଂଡିତଶ୍ରୀଯଂତ୍ର (ଲକ୍ଷ୍ମୀଯନ୍ତ୍ର), ମନ୍ତ୍ରସିଦ୍ଧଶ୍ରୀଯଂତ୍ର (ମଂତ୍ରରହିତ), ଶ୍ରୀଯଂତ୍ର (ସଂପୂର୍ଣମଂତ୍ରସହିତ), ଶ୍ରୀଯଂତ୍ର (ବୀସାଯନ୍ତ୍ର), ଶ୍ରୀଯଂତ୍ରଶ୍ରୀସୂକ୍ତଯଂତ୍ର, ଶ୍ରୀଯଂତ୍ର (କୁର୍ମପୃଷ୍ଠୀଯ), ଲକ୍ଷ୍ମୀବୀସାଯଂତ୍ର, ଶ୍ରୀଶ୍ରୀଯଂତ୍ର (ଶ୍ରୀଶ୍ରୀଲଲିତାମହାତ୍ରିପୁରସୁନ୍ଦର୍ଯୈଶ୍ରୀମହାଲକ୍ଷ୍ମଯୈଂଶ୍ରୀମହାଯନ୍ତ୍ର), ଅଂକାତ୍ମକବୀସାଯଂତ୍ର, ମହାଲକ୍ଷ୍ମଯୈବୀଜଯଂତ୍ର, ମହାଲକ୍ଷ୍ମୀବୀସାଯନ୍ତ୍ର, ଲକ୍ଷ୍ମୀଦାଯକସିଦ୍ଧବୀସାଯଂତ୍ର, ଲକ୍ଷ୍ମୀଦାତାବୀସାଯଂତ୍ର, ଲକ୍ଷ୍ମୀଗଣେଶଯଂତ୍ର, ଜ୍ଯେଷ୍ଠାଲକ୍ଷ୍ମୀମଂତ୍ରପୂଜନଯଂତ୍ର, କନକଧାରାଯଂତ୍ର, ଵୈଭଵଲକ୍ଷ୍ମୀଯଂତ୍ର (ମହାନସିଦ୍ଧିଦାଯକଶ୍ରୀମହାଲକ୍ଷ୍ମୀଯନ୍ତ୍ରମ୍), ಶುದ್ಧತಾಮ್ರಪತ್ರ(ತಾಂಬೇ), ಸುವರ್ಣಪತ್ರ(ಸೋನೇ), ರಜತ(ಚಾಂದೀ) ಪತ್ರಪರನಿರ್ಮಿತಮಂತ್ರಸಿದ್ಧ, ಅಖಂಡಿತಶ್ರೀಯಂತ್ರ (ಲಕ್ಷ್ಮೀಯನ್ತ್ರ), ಮನ್ತ್ರಸಿದ್ಧಶ್ರೀಯಂತ್ರ (ಮಂತ್ರರಹಿತ), ಶ್ರೀಯಂತ್ರ (ಸಂಪೂರ್ಣಮಂತ್ರಸಹಿತ), ಶ್ರೀಯಂತ್ರ (ಬೀಸಾಯನ್ತ್ರ), ಶ್ರೀಯಂತ್ರಶ್ರೀಸೂಕ್ತಯಂತ್ರ, ಶ್ರೀಯಂತ್ರ (ಕುರ್ಮಪೃಷ್ಠೀಯ), ಲಕ್ಷ್ಮೀಬೀಸಾಯಂತ್ರ, ಶ್ರೀಶ್ರೀಯಂತ್ರ (ಶ್ರೀಶ್ರೀಲಲಿತಾಮಹಾತ್ರಿಪುರಸುನ್ದರ್ಯೈಶ್ರೀಮಹಾಲಕ್ಷ್ಮಯೈಂಶ್ರೀಮಹಾಯನ್ತ್ರ), ಅಂಕಾತ್ಮಕಬೀಸಾಯಂತ್ರ, ಮಹಾಲಕ್ಷ್ಮಯೈಬೀಜಯಂತ್ರ, ಮಹಾಲಕ್ಷ್ಮೀಬೀಸಾಯನ್ತ್ರ, ಲಕ್ಷ್ಮೀದಾಯಕಸಿದ್ಧಬೀಸಾಯಂತ್ರ, ಲಕ್ಷ್ಮೀದಾತಾಬೀಸಾಯಂತ್ರ, ಲಕ್ಷ್ಮೀಗಣೇಶಯಂತ್ರ, ಜ್ಯೇಷ್ಠಾಲಕ್ಷ್ಮೀಮಂತ್ರಪೂಜನಯಂತ್ರ, ಕನಕಧಾರಾಯಂತ್ರ, ವೈಭವಲಕ್ಷ್ಮೀಯಂತ್ರ (ಮಹಾನಸಿದ್ಧಿದಾಯಕಶ್ರೀಮಹಾಲಕ್ಷ್ಮೀಯನ್ತ್ರಮ್), ஶுத்ததாம்ரபத்ர(தாம்பே), ஸுவர்ணபத்ர(ஸோநே), ரஜத(சாம்தீ) பத்ரபரநிர்மிதமம்த்ரஸித்த, அகம்டிதஶ்ரீயம்த்ர (லக்ஷ்மீயந்த்ர), மந்த்ரஸித்தஶ்ரீயம்த்ர (மம்த்ரரஹித), ஶ்ரீயம்த்ர (ஸம்பூர்ணமம்த்ரஸஹித), ஶ்ரீயம்த்ர (பீஸாயந்த்ர), ஶ்ரீயம்த்ரஶ்ரீஸூக்தயம்த்ர, ஶ்ரீயம்த்ர (குர்மப்ருஷ்டீய), லக்ஷ்மீபீஸாயம்த்ர, ஶ்ரீஶ்ரீயம்த்ர (ஶ்ரீஶ்ரீலலிதாமஹாத்ரிபுரஸுந்தர்யைஶ்ரீமஹாலக்ஷ்மயைம்ஶ்ரீமஹாயந்த்ர), அம்காத்மகபீஸாயம்த்ர, மஹாலக்ஷ்மயைபீஜயம்த்ர, மஹாலக்ஷ்மீபீஸாயந்த்ர, லக்ஷ்மீதாயகஸித்தபீஸாயம்த்ர, லக்ஷ்மீதாதாபீஸாயம்த்ர, லக்ஷ்மீகணேஶயம்த்ர, ஜ்யேஷ்டாலக்ஷ்மீமம்த்ரபூஜநயம்த்ர, கநகதாராயம்த்ர, வைபவலக்ஷ்மீயம்த்ர (மஹாநஸித்திதாயகஶ்ரீமஹாலக்ஷ்மீயந்த்ரம்), శుద్ధతామ్రపత్ర(తాంబే), సువర్ణపత్ర(సోనే), రజత(చాందీ) పత్రపరనిర్మితమంత్రసిద్ధ, అఖండితశ్రీయంత్ర (లక్ష్మీయన్త్ర), మన్త్రసిద్ధశ్రీయంత్ర (మంత్రరహిత), శ్రీయంత్ర (సంపూర్ణమంత్రసహిత), శ్రీయంత్ర (బీసాయన్త్ర), శ్రీయంత్రశ్రీసూక్తయంత్ర, శ్రీయంత్ర (కుర్మపృష్ఠీయ), లక్ష్మీబీసాయంత్ర, శ్రీశ్రీయంత్ర (శ్రీశ్రీలలితామహాత్రిపురసున్దర్యైశ్రీమహాలక్ష్మయైంశ్రీమహాయన్త్ర), అంకాత్మకబీసాయంత్ర, మహాలక్ష్మయైబీజయంత్ర, మహాలక్ష్మీబీసాయన్త్ర, లక్ష్మీదాయకసిద్ధబీసాయంత్ర, లక్ష్మీదాతాబీసాయంత్ర, లక్ష్మీగణేశయంత్ర, జ్యేష్ఠాలక్ష్మీమంత్రపూజనయంత్ర, కనకధారాయంత్ర, వైభవలక్ష్మీయంత్ర (మహానసిద్ధిదాయకశ్రీమహాలక్ష్మీయన్త్రమ్), ശുദ്ധതാമ്രപത്ര(താംബേ), സുവര്ണപത്ര(സോനേ), രജത(ചാംദീ) പത്രപരനിര്മിതമംത്രസിദ്ധ, അഖംഡിതശ്രീയംത്ര (ലക്ഷ്മീയന്ത്ര), മന്ത്രസിദ്ധശ്രീയംത്ര (മംത്രരഹിത), ശ്രീയംത്ര (സംപൂര്ണമംത്രസഹിത), ശ്രീയംത്ര (ബീസായന്ത്ര), ശ്രീയംത്രശ്രീസൂക്തയംത്ര, ശ്രീയംത്ര (കുര്മപൃഷ്ഠീയ), ലക്ഷ്മീബീസായംത്ര, ശ്രീശ്രീയംത്ര (ശ്രീശ്രീലലിതാമഹാത്രിപുരസുന്ദര്യൈശ്രീമഹാലക്ഷ്മയൈംശ്രീമഹായന്ത്ര), അംകാത്മകബീസായംത്ര, മഹാലക്ഷ്മയൈബീജയംത്ര, മഹാലക്ഷ്മീബീസായന്ത്ര, ലക്ഷ്മീദായകസിദ്ധബീസായംത്ര, ലക്ഷ്മീദാതാബീസായംത്ര, ലക്ഷ്മീഗണേശയംത്ര, ജ്യേഷ്ഠാലക്ഷ്മീമംത്രപൂജനയംത്ര, കനകധാരായംത്ര, വൈഭവലക്ഷ്മീയംത്ര (മഹാനസിദ്ധിദായകശ്രീമഹാലക്ഷ്മീയന്ത്രമ്), ਸ਼ੁੱਧਤਾਮ੍ਰਪਤ੍ਰ(ਤਾਂਬੇ), ਸੁਵਰ੍ਣਪਤ੍ਰ(ਸੋਨੇ), ਰਜਤ(ਚਾਂਦੀ) ਪਤ੍ਰਪਰਨਿਰ੍ਮਿਤਮਂਤ੍ਰਸਿੱਧ, ਅਖਂਡਿਤਸ਼੍ਰੀਯਂਤ੍ਰ (ਲਕ੍ਸ਼੍ਮੀਯਨ੍ਤ੍ਰ), ਮਨ੍ਤ੍ਰਸਿੱਧਸ਼੍ਰੀਯਂਤ੍ਰ (ਮਂਤ੍ਰਰਹਿਤ), ਸ਼੍ਰੀਯਂਤ੍ਰ (ਸਂਪੂਰ੍ਣਮਂਤ੍ਰਸਹਿਤ), ਸ਼੍ਰੀਯਂਤ੍ਰ (ਬੀਸਾਯਨ੍ਤ੍ਰ), ਸ਼੍ਰੀਯਂਤ੍ਰਸ਼੍ਰੀਸੂਕ੍ਤਯਂਤ੍ਰ, ਸ਼੍ਰੀਯਂਤ੍ਰ (ਕੁਰ੍ਮਪ੍ਰੁਸ਼੍ਠੀਯ), ਲਕ੍ਸ਼੍ਮੀਬੀਸਾਯਂਤ੍ਰ, ਸ਼੍ਰੀਸ਼੍ਰੀਯਂਤ੍ਰ (ਸ਼੍ਰੀਸ਼੍ਰੀਲਲਿਤਾਮਹਾਤ੍ਰਿਪੁਰਸੁਨ੍ਦਰ੍ਯੈਸ਼੍ਰੀਮਹਾਲਕ੍ਸ਼੍ਮਯੈਂਸ਼੍ਰੀਮਹਾਯਨ੍ਤ੍ਰ), ਅਂਕਾਤ੍ਮਕਬੀਸਾਯਂਤ੍ਰ, ਮਹਾਲਕ੍ਸ਼੍ਮਯੈਬੀਜਯਂਤ੍ਰ, ਮਹਾਲਕ੍ਸ਼੍ਮੀਬੀਸਾਯਨ੍ਤ੍ਰ, ਲਕ੍ਸ਼੍ਮੀਦਾਯਕਸਿੱਧਬੀਸਾਯਂਤ੍ਰ, ਲਕ੍ਸ਼੍ਮੀਦਾਤਾਬੀਸਾਯਂਤ੍ਰ, ਲਕ੍ਸ਼੍ਮੀਗਣੇਸ਼ਯਂਤ੍ਰ, ਜ੍ਯੇਸ਼੍ਠਾਲਕ੍ਸ਼੍ਮੀਮਂਤ੍ਰਪੂਜਨਯਂਤ੍ਰ, ਕਨਕਧਾਰਾਯਂਤ੍ਰ, ਵੈਭਵਲਕ੍ਸ਼੍ਮੀਯਂਤ੍ਰ (ਮਹਾਨਸਿੱਧਿਦਾਯਕਸ਼੍ਰੀਮਹਾਲਕ੍ਸ਼੍ਮੀਯਨ੍ਤ੍ਰਮ੍), 

धन प्राप्ति हेतु महालक्ष्मी मंत्र

Chanting Mahalaxmi Mantra For Wealth, money, धन प्राप्ति महालक्ष्मी मंत्र, धन प्राप्ति महालक्ष्मी मन्त्र, लक्ष्मि मन्त्र, ધનપ્રાપ્તિમહાલક્ષ્મીમંત્ર, ધનપ્રાપ્તિમહાલક્ષ્મીમન્ત્ર, લક્ષ્મિમન્ત્ર, ಧನಪ್ರಾಪ್ತಿಮಹಾಲಕ್ಷ್ಮೀಮಂತ್ರ, ಧನಪ್ರಾಪ್ತಿಮಹಾಲಕ್ಷ್ಮೀಮನ್ತ್ರ, ಲಕ್ಷ್ಮಿಮನ್ತ್ರ, தநப்ராப்திமஹாலக்ஷ்மீமம்த்ர, தநப்ராப்திமஹாலக்ஷ்மீமந்த்ர, லக்ஷ்மிமந்த்ர, ధనప్రాప్తిమహాలక్ష్మీమంత్ర, ధనప్రాప్తిమహాలక్ష్మీమన్త్ర, లక్ష్మిమన్త్ర,  ധനപ്രാപ്തിമഹാലക്ഷ്മീമംത്ര, ധനപ്രാപ്തിമഹാലക്ഷ്മീമന്ത്ര, ലക്ഷ്മിമന്ത്ര, ਧਨਪ੍ਰਾਪ੍ਤਿਮਹਾਲਕ੍ਸ਼੍ਮੀਮਂਤ੍ਰ, ਧਨਪ੍ਰਾਪ੍ਤਿਮਹਾਲਕ੍ਸ਼੍ਮੀਮਨ੍ਤ੍ਰ, ਲਕ੍ਸ਼੍ਮਿਮਨ੍ਤ੍ਰ, ধনপ্রাপ্তিমহালক্ষ্মীমংত্র, ধনপ্রাপ্তিমহালক্ষ্মীমন্ত্র, লক্ষ্মিমন্ত্র, ଧନପ୍ରାପ୍ତିମହାଲକ୍ଷ୍ମୀମଂତ୍ର, ଧନପ୍ରାପ୍ତିମହାଲକ୍ଷ୍ମୀମନ୍ତ୍ର, ଲକ୍ଷ୍ମିମନ୍ତ୍ର,

धन प्राप्ति हेतु महालक्ष्मी मंत्र
मंत्र :

1.    श्री महालक्ष्म्यै नमः।

2.     श्रीं ह्रीं श्रीं कमले कमलालये।

3.     श्रीं ह्रीं क्लीं ऐं कमलवासिन्यै स्वाहा 

4.     ह्रीं श्रीं क्लीं महालक्ष्म्यै नमः।

5.      श्रीं श्रियै नमः।

6.      ह्री श्रीं क्रीं श्रीं क्रीं क्लीं श्रीं महालक्ष्मी मम गृहे धनं पूरय पूरय चिंतायै दूरय दूरय स्वाहा ।

7.     धन लाभ एवं समृद्धि मंत्र
 श्रीं ह्रीं क्लीं त्रिभुवन महालक्ष्म्यै अस्मांक दारिद्र्य नाशय प्रचुर धन देहि देहि क्लीं ह्रीं श्रीं ॐ ।

 

8.      अक्षय धन प्राप्ति मंत्र

             श्रीं ह्रीं क्लीं ऐं सौं  ह्रीं     ह्रीं      ह्रीं सकल ह्रीं सौं ऐं क्लीं ह्रीं श्री  

कैसेकरेंमंत्रजाप :-

धनतेरस या दीपावली के दिन संकल्प लेकर प्रातःकाल स्नान करके पूर्व या उत्तर दिशा कि और मुख  करके लक्ष्मी कि मूर्ति या चित्र की पंचोपचार या दक्षोपचार या षोड्षोपचार से पूजा करें GURUTVA KARYALAY | GURUTVA JYOTISH
शुद्धपवित्र आसन ग्रहण कर स्फटिक कि माला से मंत्र का जाप ,,,११ माला जाप पूर्ण कर अपने कार्य उद्देश्य कि पूर्ति हेतु मां लक्ष्मी से प्राथना करें 

अधिकस्य अधिकं फलम्।

जप जितना अधिक हो सके उतना अच्छा है। यदि मंत्र अधिक बार जाप कर सकें तो श्रेष्ठ GURUTVA KARYALAY | GURUTVA JYOTISH

प्रतिदिन स्नान इत्यादिसे शुद्ध होकर उपरोक्त किसी एक लक्ष्मी मंत्र  का जाप 108 दाने कि माला से कम से कम एक माला जाप अवश्य करना चाहिए GURUTVA KARYALAY | GURUTVA JYOTISH

उपरोक्त  मंत्र के विधिविधान के अनुसार जाप करने से मां लक्ष्मी कि कृपा से व्यक्ति को धन की प्राप्ति होती है और निर्धनता का निवारण होता है GURUTVA KARYALAY | GURUTVA JYOTISH

पाठको की पसंद

धनत्रयोदशी पर यमदीपदान क्यों किया जाता हैं?

धनतेरस, धन त्रयोदशी, Why offering Ymdeepdan on Dntryodshi?, धनतेरसलक्ष्मी पूजन, लक्ष्मी पूजा, धनत्रयोदशीधनवंतरि, धनतेरस के शुभ मुहूर्त, धनतेरस शुभ महूरत, धनतेरस की पूजा, धनतेरस पर दीपदानलक्ष्मी पुजन, लक्ष्मी पुजा,ધનતેરસ, ધનત્રયોદશી, ધનતેરસલક્ષ્મીપૂજન, લક્ષ્મીપૂજા, ધનત્રયોદશીધનવંતરિ, ધનતેરસકેશુભમુહૂર્ત, ધનતેરસશુભમહૂરત, ધનતેરસકીપૂજા, ધનતેરસપરદીપદાનલક્ષ્મીપુજન, લક્ષ્મીપુજા,ಧನತೇರಸ, ಧನತ್ರಯೋದಶೀ, ಧನತೇರಸಲಕ್ಷ್ಮೀಪೂಜನ, ಲಕ್ಷ್ಮೀಪೂಜಾ, ಧನತ್ರಯೋದಶೀಧನವಂತರಿ, ಧನತೇರಸಕೇಶುಭಮುಹೂರ್ತ, ಧನತೇರಸಶುಭಮಹೂರತ, ಧನತೇರಸಕೀಪೂಜಾ, ಧನತೇರಸಪರದೀಪದಾನಲಕ್ಷ್ಮೀಪುಜನ, ಲಕ್ಷ್ಮೀಪುಜಾ,தநதேரஸ, தநத்ரயோதஶீ, தநதேரஸலக்ஷ்மீபூஜந, லக்ஷ்மீபூஜா, தநத்ரயோதஶீதநவம்தரி, தநதேரஸகேஶுபமுஹூர்த, தநதேரஸஶுபமஹூரத, தநதேரஸகீபூஜா, தநதேரஸபரதீபதாநலக்ஷ்மீபுஜந, லக்ஷ்மீபுஜா,ధనతేరస, ధనత్రయోదశీ, ధనతేరసలక్ష్మీపూజన, లక్ష్మీపూజా, ధనత్రయోదశీధనవంతరి, ధనతేరసకేశుభముహూర్త, ధనతేరసశుభమహూరత, ధనతేరసకీపూజా, ధనతేరసపరదీపదానలక్ష్మీపుజన, లక్ష్మీపుజా,ധനതേരസ, ധനത്രയോദശീ, ധനതേരസലക്ഷ്മീപൂജന, ലക്ഷ്മീപൂജാ, ധനത്രയോദശീധനവംതരി, ധനതേരസകേശുഭമുഹൂര്ത, ധനതേരസശുഭമഹൂരത, ധനതേരസകീപൂജാ, ധനതേരസപരദീപദാനലക്ഷ്മീപുജന, ലക്ഷ്മീപുജാ,ਧਨਤੇਰਸ, ਧਨਤ੍ਰਯੋਦਸ਼ੀ, ਧਨਤੇਰਸਲਕ੍ਸ਼੍ਮੀਪੂਜਨ, ਲਕ੍ਸ਼੍ਮੀਪੂਜਾ, ਧਨਤ੍ਰਯੋਦਸ਼ੀਧਨਵਂਤਰਿ, ਧਨਤੇਰਸਕੇਸ਼ੁਭਮੁਹੂਰ੍ਤ, ਧਨਤੇਰਸਸ਼ੁਭਮਹੂਰਤ, ਧਨਤੇਰਸਕੀਪੂਜਾ, ਧਨਤੇਰਸਪਰਦੀਪਦਾਨਲਕ੍ਸ਼੍ਮੀਪੁਜਨ, ਲਕ੍ਸ਼੍ਮੀਪੁਜਾ,ধনতেরস, ধনত্রযোদশী, ধনতেরসলক্ষ্মীপূজন, লক্ষ্মীপূজা, ধনত্রযোদশীধনৱংতরি, ধনতেরসকেশুভমুহূর্ত, ধনতেরসশুভমহূরত, ধনতেরসকীপূজা, ধনতেরসপরদীপদানলক্ষ্মীপুজন, লক্ষ্মীপুজা,ଧନତେରସ, ଧନତ୍ରଯୋଦଶୀ, ଧନତେରସଲକ୍ଷ୍ମୀପୂଜନ, ଲକ୍ଷ୍ମୀପୂଜା, ଧନତ୍ରଯୋଦଶୀଧନବଂତରି, ଧନତେରସକେଶୁଭମୁହୂର୍ତ, ଧନତେରସଶୁଭମହୂରତ, ଧନତେରସକୀପୂଜା, ଧନତେରସପରଦୀପଦାନଲକ୍ଷ୍ମୀପୁଜନ, ଲକ୍ଷ୍ମୀପୁଜା,Dhanteras 2011, 24 October, Subh Muhurat, auspicious timings,  Dhanteras 2011, dhanteras celebrations, dhanteras diwali, dhanteras puja, dhanteras pujan, Lakshmi Puja, Laxmi poojaa, Dhanteras – Festival of Wealth, Festival History and Information, Dhanwantari Trayodashi, auspicious timings for Hindu festival Dhanteras, 

धनत्रयोदशी पर यमदीपदान क्यों किया जाता हैं?
शास्त्रोंक्त मत के अनुशार धनत्रयोदशी के किये जाने वाले कर्मो में यमदीपदान को विशेष प्रमुखता दी जाती हैं। लेकिन  धनत्रयोदशी पर यमदीपदान क्यों किया जाता हैं इस के पीछे छुपी धार्मिक मान्यता से कम लोग ही परीचित होंगे!
हिन्दू धर्म में किये जाने वाली प्रत्येक व्रततयोहार, उत्सव, पूजन विधिविधान, इत्यादि के पीछे कोई न कोई पौराणिक कथा अवश्य जुड़ी होती हैं । इसी प्रकार धनत्रयोदशी पर यमदीपदान करना भी इसी प्रकार पौराणिक कथा से जुड़ा हुआ हैं। स्कन्दपुराण में वैष्णवखण्ड के अन्तर्गत कार्तिक मास महात्म्य में इससे सम्बन्धित पौराणिक कथा का संक्षिप्त उल्लेख किया गया हैं।GURUTVA KARYALAY | GURUTVA JYOTISH
पौराणिक कथा के अनुशार एक बार यमदूत बालकों एवं युवाओं के प्राण हरते समय परेशान हो उठे। यमदूत को बड़ा दुःख हुआ कि वे बालकों एवं युवाओं के प्राण हरने का कार्य करते हैं, परन्तु यमदूत करते भी क्या? उनका कार्य ही प्राण हरना ही हैं। यमदूत अपने कर्तव्य से वे कैसे विमुख होते? GURUTVA KARYALAY | GURUTVA JYOTISH
 यमदूत के लिए एक और कर्तव्यनिष्ठा का प्रश्न था, दुसरी ओर जिन बालक एवं युवाओं का प्राण हरकर लाते थे, उनके परिजनों ……………..>>
>> Read Full Article Please Read GURUTVA JYOTISH  OCT-2011GURUTVA KARYALAY | GURUTVA JYOTISH
यमदूत के मुख से इतना सुनकर धर्मराज बोले दूतगण तुमने बहुत अच्छा प्रश्न किया हैं। इससे मृत्यु लोकवासियों का कल्याण होगा। कार्तिक कृष्ण त्रयोदशी को प्रतिवर्ष प्रदोषकाल में जो अपने घर के दरवाजे पर निम्नलिखित मन्त्र से उत्तम दीप देता हैं, वह अपमृत्यु होने पर भी यहॉं ले आने के योग्य नहीं है।GURUTVA KARYALAY | GURUTVA JYOTISH
मृत्युना पाश्दण्डाभ्यां कालेन च मया सह।
त्रयोदश्यां दीपदानात् सूर्यजः प्रीयतामिति॥
उसके बाद से ही अपमृत्यु अर्थात् असामयिक मृत्यु से बचने के उपाय के रूप में धनत्रयोदशी पर यम के निमित्त दीपदान एवं नैवेद्य समर्पित करने का कर्म प्रतिवर्ष किया जाता हैं।GURUTVA KARYALAY | GURUTVA JYOTISH
यमराज की सभा:यमराज की सभा का वर्णन करते हुए ग्रंथ कारों ने लिखा हैं किदेवलोक की चार प्रमुख सभाओं में से एक है यमसभाइससभाकानिर्माणविश्वकर्माजीनेकियाथा।यमसभाअत्यन्तविशालसभाहै, इसकी 100योजनलम्बाईएवं 100योजनचौड़ाईहै।……………..>>
>> Read Full Article Please Read GURUTVA JYOTISH  OCT-2011GURUTVA KARYALAY | GURUTVA JYOTISH

यमसभा में अनेक राजा, ऋर्षि और ब्रह्मर्षि यमदेव की उपासना करते रहते हैं। ययाति, नहुश, पुरु, कार्तवीर्य, अरिष्टनेमी, कृति, निमि, मान्धाता, प्रतर्दन, शिवि आदि राजा मृत्यु के उरान्त यहां बैठकर धर्मराज की उपासना करते हैं। कठोर तपस्या करने वाले, उत्तम व्रत का पालन करने वाले सत्यवादी, शान्त, संन्यासी तथा अपने पुण्यकर्म से शुध्द एवं पवित्र महापुरुषों का ही यमसभा में प्रवेश होता हैं।GURUTVA ……………..>>

>> Read Full Article Please Read GURUTVA JYOTISH  OCT-2011GURUTVA KARYALAY | GURUTVA JYOTISH
संपूर्णलेखपढनेकेलियेकृप्यागुरुत्वज्योतिषपत्रिकाअक्टूबर2011 काअंकपढें
इस लेख को प्रतिलिपिसंरक्षण (Copy Protection) के कारणो से यहां संक्षिप्त में प्रकाशित किया गया हैं।
>> गुरुत्वज्योतिषपत्रिका (अक्टूबर2011)
OCT-2011
पाठको की पसंद

धनत्रयोदशी पर यम-दीपदान अकालमृत्यु को दूर करता हैं?

धनतेरस, धन त्रयोदशी, धनतेरसलक्ष्मी पूजन, लक्ष्मी पूजा, धनत्रयोदशीधनवंतरि, धनतेरस के शुभ मुहूर्त, धनतेरस शुभ महूरत, धनतेरस की पूजा, धनतेरस पर दीपदानलक्ष्मी पुजन, लक्ष्मी पुजा,ધનતેરસ, ધનત્રયોદશી, ધનતેરસલક્ષ્મીપૂજન, લક્ષ્મીપૂજા, ધનત્રયોદશીધનવંતરિ, ધનતેરસકેશુભમુહૂર્ત, ધનતેરસશુભમહૂરત, ધનતેરસકીપૂજા, ધનતેરસપરદીપદાનલક્ષ્મીપુજન, લક્ષ્મીપુજા,ಧನತೇರಸ, ಧನತ್ರಯೋದಶೀ, ಧನತೇರಸಲಕ್ಷ್ಮೀಪೂಜನ, ಲಕ್ಷ್ಮೀಪೂಜಾ, ಧನತ್ರಯೋದಶೀಧನವಂತರಿ, ಧನತೇರಸಕೇಶುಭಮುಹೂರ್ತ, ಧನತೇರಸಶುಭಮಹೂರತ, ಧನತೇರಸಕೀಪೂಜಾ, ಧನತೇರಸಪರದೀಪದಾನಲಕ್ಷ್ಮೀಪುಜನ, ಲಕ್ಷ್ಮೀಪುಜಾ,தநதேரஸ, தநத்ரயோதஶீ, தநதேரஸலக்ஷ்மீபூஜந, லக்ஷ்மீபூஜா, தநத்ரயோதஶீதநவம்தரி, தநதேரஸகேஶுபமுஹூர்த, தநதேரஸஶுபமஹூரத, தநதேரஸகீபூஜா, தநதேரஸபரதீபதாநலக்ஷ்மீபுஜந, லக்ஷ்மீபுஜா,ధనతేరస, ధనత్రయోదశీ, ధనతేరసలక్ష్మీపూజన, లక్ష్మీపూజా, ధనత్రయోదశీధనవంతరి, ధనతేరసకేశుభముహూర్త, ధనతేరసశుభమహూరత, ధనతేరసకీపూజా, ధనతేరసపరదీపదానలక్ష్మీపుజన, లక్ష్మీపుజా,ധനതേരസ, ധനത്രയോദശീ, ധനതേരസലക്ഷ്മീപൂജന, ലക്ഷ്മീപൂജാ, ധനത്രയോദശീധനവംതരി, ധനതേരസകേശുഭമുഹൂര്ത, ധനതേരസശുഭമഹൂരത, ധനതേരസകീപൂജാ, ധനതേരസപരദീപദാനലക്ഷ്മീപുജന, ലക്ഷ്മീപുജാ,ਧਨਤੇਰਸ, ਧਨਤ੍ਰਯੋਦਸ਼ੀ, ਧਨਤੇਰਸਲਕ੍ਸ਼੍ਮੀਪੂਜਨ, ਲਕ੍ਸ਼੍ਮੀਪੂਜਾ, ਧਨਤ੍ਰਯੋਦਸ਼ੀਧਨਵਂਤਰਿ, ਧਨਤੇਰਸਕੇਸ਼ੁਭਮੁਹੂਰ੍ਤ, ਧਨਤੇਰਸਸ਼ੁਭਮਹੂਰਤ, ਧਨਤੇਰਸਕੀਪੂਜਾ, ਧਨਤੇਰਸਪਰਦੀਪਦਾਨਲਕ੍ਸ਼੍ਮੀਪੁਜਨ, ਲਕ੍ਸ਼੍ਮੀਪੁਜਾ,ধনতেরস, ধনত্রযোদশী, ধনতেরসলক্ষ্মীপূজন, লক্ষ্মীপূজা, ধনত্রযোদশীধনৱংতরি, ধনতেরসকেশুভমুহূর্ত, ধনতেরসশুভমহূরত, ধনতেরসকীপূজা, ধনতেরসপরদীপদানলক্ষ্মীপুজন, লক্ষ্মীপুজা,ଧନତେରସ, ଧନତ୍ରଯୋଦଶୀ, ଧନତେରସଲକ୍ଷ୍ମୀପୂଜନ, ଲକ୍ଷ୍ମୀପୂଜା, ଧନତ୍ରଯୋଦଶୀଧନବଂତରି, ଧନତେରସକେଶୁଭମୁହୂର୍ତ, ଧନତେରସଶୁଭମହୂରତ, ଧନତେରସକୀପୂଜା, ଧନତେରସପରଦୀପଦାନଲକ୍ଷ୍ମୀପୁଜନ, ଲକ୍ଷ୍ମୀପୁଜା,Dhanteras 2011, 24 October, Subh Muhurat, auspicious timings,  Dhanteras 2011, dhanteras celebrations, dhanteras diwali, dhanteras puja, dhanteras pujan, Lakshmi Puja, Laxmi poojaa, Dhanteras – Festival of Wealth, Festival History and Information, Dhanwantari Trayodashi, auspicious timings for Hindu festival Dhanteras, 

धनत्रयोदशीपरयमदीपदान अकालमृत्युकोदूरकरताहैं?
लेखसाभार: गुरुत्वज्योतिषपत्रिका (अक्टूबर-2011)
धनत्रयोदशीकेदिनकियेजानेवालेकर्ममेंएकमहत्त्वपूर्णकर्मयम के निमित्त किया जाने वाला दीपदान हैं।GURUTVA KARYALAY | GURUTVA JYOTISH
हिन्दू धर्म शास्त्र में निर्णयसिन्धु के अंतर्गत निर्णयामृत और स्कन्दपुराण उल्लेख हैं कि कार्तिक कृष्ण त्रयोदशी की संध्या प्रदोष काल के समाय घर से बाहर यम के निमित्त दीपदान करने से परिवार में अकालमृत्यु का भय दूर होता हैं।GURUTVA KARYALAY | GURUTVA JYOTISH
शास्त्रोंक्त मत के अनुशार यमदेवता भगवान सूर्य और माता संज्ञा के पुत्र हैं। वैवस्वत मनु, अश्विनीकुमार एवं रैवंत उनके भाई हैं तथा यमुना उनकी बहन है। यमदेवकीसौतेलीमाँ छाया से शनि, तपती, विष्टि, सावर्णि मनु आदि 10 सौतेले भाई बहनभीहैं।पौराणिकमान्यताकेअनुशारयमशनिग्रहकेअधिदेवताहैं।GURUTVA KARYALAY | GURUTVA JYOTISH
यमदेवता प्रत्येक प्राणी के शुभअशुभ कर्मों के अनुसार फल देने का कार्य करते हैं। इसी कारण उन्हें यमदेवता को धर्मराज कहा गया हैं। क्योकि अपने कर्तव्य के प्रति यमदेव त्रुटि रहित कार्य व्यवस्था की स्थापना करते हैं। यमदेव का अपना अलग से एक लोक हैं, जिसे उनके नाम से ही यमलोककहा जाता हैं। GURUTVA KARYALAY | GURUTVA JYOTISH
ऋग्वेद में उल्लेख है कि यमलोक में ……………..>>
>> Read Full Article Please Read GURUTVA JYOTISH  OCT-2011GURUTVA KARYALAY | GURUTVA JYOTISH
यमदीपदान: GURUTVA KARYALAY | GURUTVA JYOTISH
यमदीपदान के विषय में स्कन्दपुराण में कहा गया है कि कार्तिक के कृष्णपक्ष में त्रयोदशी के प्रदोषकाल में यमराज के निमित्त दीप और नैवेद्य समर्पित करने पर अकाल मृत्यु का नाश होता हैं। यह स्वयं यमराज का कथन था।GURUTVA KARYALAY | GURUTVA JYOTISH
यमदीपदान केवलप्रदोषकाल में करने का विधान हैं। यमदीपदान के लिए मिट्टी का एक बड़ा दीपक लेकर उसे उसे स्वच्छ जल से धो लेना चाहिए। फिर स्वच्छ रुई लेकर दो लम्बी बत्तियॉं बना लें। GURUTVA KARYALAY | GURUTVA JYOTISH
बत्तियां इतनी लम्बी बनाये की दीपक से उसके दोनों और के छोर निकले हुए हो। बत्तियॉं को दीपक में एक-दूसरे पर इस प्रकार रखें कि दीपक के बाहर बत्तियों के चार मुँह दिखाई दें। अब दीपक को तिल के तेल से भर दें और साथ ही उसमें एक छुटकी काले तिल भी डाल दें।
प्रदोषकाल में इस प्रकार विधि से तैयार किए गए दीपक का >> Read Full Article Please Read GURUTVA JYOTISH  OCT-2011GURUTVA KARYALAY | GURUTVA JYOTISH
मृत्युना पाशदण्डाभ्यां कालेन च मया सह।
त्रयोदश्यां दीपदानात् सूर्यजः प्रीयतामिति॥
अर्थात्: त्रयोदशी को दीपदान करने से मृत्यु, पाश, दण्ड, काल और लक्ष्मी के साथ सूर्यनंदन यम प्रसन्न हों। GURUTVA KARYALAY | GURUTVA JYOTISH
उक्त मन्त्र के उच्चारण के पश्चात् हाथ में पुष्प लेकर निम्नलिखित मन्त्र का उच्चारण करते हुए यमदेव को दक्षिण दिशा में नमस्कार करें।GURUTVA KARYALAY | GURUTVA JYOTISH
ॐ यमदेवाय नमः। नमस्कारं समर्पयामि॥GURUTVA KARYALAY | GURUTVA JYOTISH
तत पश्चयात पुष्प दीपक के पास रख दें ……………..>>
>> Read Full Article Please Read GURUTVA JYOTISH  OCT-2011GURUTVA KARYALAY | GURUTVA JYOTISH
ॐ यमदेवाय नमः। आचमनार्थे जलं समर्पयामि॥GURUTVA KARYALAY | GURUTVA JYOTISH
तत पश्चयात पुनः यमदेव को ॐ यमदेवाय नमः। मन्त्र का उचारण करते हुए दक्षिण दिशा ……………..>>
>> Read Full Article Please Read GURUTVA JYOTISH  OCT-2011GURUTVA KARYALAY | GURUTVA JYOTISH
संपूर्णलेखपढनेकेलियेकृप्यागुरुत्वज्योतिषपत्रिकाअक्टूबर2011 काअंकपढें
इस लेख को प्रतिलिपिसंरक्षण (Copy Protection) के कारणो से यहां संक्षिप्त में प्रकाशित किया गया हैं।
>> गुरुत्वज्योतिषपत्रिका (अक्टूबर2011)
OCT-2011

पाठको की पसंद

धन तेरस शुभ मुहूर्त (24 अक्तूबर, 2011)

धनतेरस, धनत्रयोदशी, धनतेरसलक्ष्मीपूजन, लक्ष्मीपूजा, धनत्रयोदशीधनवंतरि, धनतेरसकेशुभमुहूर्त, धनतेरसशुभमहूरत, धनतेरसकीपूजा, धनतेरसपरदीपदानलक्ष्मीपुजन, लक्ष्मीपुजा,ધનતેરસ, ધનત્રયોદશી, ધનતેરસલક્ષ્મીપૂજન, લક્ષ્મીપૂજા, ધનત્રયોદશીધનવંતરિ, ધનતેરસકેશુભમુહૂર્ત, ધનતેરસશુભમહૂરત, ધનતેરસકીપૂજા, ધનતેરસપરદીપદાનલક્ષ્મીપુજન, લક્ષ્મીપુજા,ಧನತೇರಸ, ಧನತ್ರಯೋದಶೀ, ಧನತೇರಸಲಕ್ಷ್ಮೀಪೂಜನ, ಲಕ್ಷ್ಮೀಪೂಜಾ, ಧನತ್ರಯೋದಶೀಧನವಂತರಿ, ಧನತೇರಸಕೇಶುಭಮುಹೂರ್ತ, ಧನತೇರಸಶುಭಮಹೂರತ, ಧನತೇರಸಕೀಪೂಜಾ, ಧನತೇರಸಪರದೀಪದಾನಲಕ್ಷ್ಮೀಪುಜನ, ಲಕ್ಷ್ಮೀಪುಜಾ,தநதேரஸ, தநத்ரயோதஶீ, தநதேரஸலக்ஷ்மீபூஜந, லக்ஷ்மீபூஜா, தநத்ரயோதஶீதநவம்தரி, தநதேரஸகேஶுபமுஹூர்த, தநதேரஸஶுபமஹூரத, தநதேரஸகீபூஜா, தநதேரஸபரதீபதாநலக்ஷ்மீபுஜந, லக்ஷ்மீபுஜா,ధనతేరస, ధనత్రయోదశీ, ధనతేరసలక్ష్మీపూజన, లక్ష్మీపూజా, ధనత్రయోదశీధనవంతరి, ధనతేరసకేశుభముహూర్త, ధనతేరసశుభమహూరత, ధనతేరసకీపూజా, ధనతేరసపరదీపదానలక్ష్మీపుజన, లక్ష్మీపుజా,ധനതേരസ, ധനത്രയോദശീ, ധനതേരസലക്ഷ്മീപൂജന, ലക്ഷ്മീപൂജാ, ധനത്രയോദശീധനവംതരി, ധനതേരസകേശുഭമുഹൂര്ത, ധനതേരസശുഭമഹൂരത, ധനതേരസകീപൂജാ, ധനതേരസപരദീപദാനലക്ഷ്മീപുജന, ലക്ഷ്മീപുജാ,ਧਨਤੇਰਸ, ਧਨਤ੍ਰਯੋਦਸ਼ੀ, ਧਨਤੇਰਸਲਕ੍ਸ਼੍ਮੀਪੂਜਨ, ਲਕ੍ਸ਼੍ਮੀਪੂਜਾ, ਧਨਤ੍ਰਯੋਦਸ਼ੀਧਨਵਂਤਰਿ, ਧਨਤੇਰਸਕੇਸ਼ੁਭਮੁਹੂਰ੍ਤ, ਧਨਤੇਰਸਸ਼ੁਭਮਹੂਰਤ, ਧਨਤੇਰਸਕੀਪੂਜਾ, ਧਨਤੇਰਸਪਰਦੀਪਦਾਨਲਕ੍ਸ਼੍ਮੀਪੁਜਨ, ਲਕ੍ਸ਼੍ਮੀਪੁਜਾ,ধনতেরস, ধনত্রযোদশী, ধনতেরসলক্ষ্মীপূজন, লক্ষ্মীপূজা, ধনত্রযোদশীধনৱংতরি, ধনতেরসকেশুভমুহূর্ত, ধনতেরসশুভমহূরত, ধনতেরসকীপূজা, ধনতেরসপরদীপদানলক্ষ্মীপুজন, লক্ষ্মীপুজা,ଧନତେରସ, ଧନତ୍ରଯୋଦଶୀ, ଧନତେରସଲକ୍ଷ୍ମୀପୂଜନ, ଲକ୍ଷ୍ମୀପୂଜା, ଧନତ୍ରଯୋଦଶୀଧନବଂତରି, ଧନତେରସକେଶୁଭମୁହୂର୍ତ, ଧନତେରସଶୁଭମହୂରତ, ଧନତେରସକୀପୂଜା, ଧନତେରସପରଦୀପଦାନଲକ୍ଷ୍ମୀପୁଜନ, ଲକ୍ଷ୍ମୀପୁଜା,Dhanteras 2011, 24 October, Subh Muhurat, auspicious timings,  Dhanteras 2011, dhanteras celebrations, dhanteras diwali, dhanteras puja, dhanteras pujan, Lakshmi Puja, Laxmi poojaa, Dhanteras – Festival of Wealth, Festival History and Information, Dhanwantari Trayodashi, auspicious timings for Hindu festival Dhanteras,

धनतेरसशुभमुहूर्त (24 अक्तूबर, 2011)
लेखसाभार: गुरुत्वज्योतिषपत्रिका (अक्टूबर-2011)
एसी पौराणिक मान्यता हैं कि धन तेरस के दिन धनवंतरी नामक देवता अमृत कलश के साथ सागर मंथन से उत्पन्न हुए थे। धनवंतरी धन, स्वास्थय व आयु के अधिपति देवता हैं। धनवंतरी को देवों के वैध व चिकित्सक के रुप में जाना जाता हैं।GURUTVA KARYALAY | GURUTVA JYOTISH
धन तेरस के दिन चांदी के बर्तन-सिक्के खरीदना विशेष शुभ होता हैं। क्योकि शास्त्रों में धनवंतरी देव को चंद्रमा के समान माना गया हैं। धन तेरस के धनवंतरी के पूजन से मानसिक शान्ति, मन में संतोष एव स्वभाव में सौम्यता का भाव आता हैं। जो लोग अधिक से अधिक धन एकत्र करने कि कामना करते हों उन्हें धनवंतरी देव कि प्रतिदिन आराधना करनी चाहिए। धनतेरस पर पूजा करने से व्यक्ति में संतोष,  स्वास्थय, सुख व धन कि विशेष प्राप्ति होती हैं। जिन व्यक्तियों के उत्तम स्वास्थय में कमी तथा सेहत खराब होने कि आशंकाएं बनी रहती हैं उन्हें विशेष रुप से इस शुभ दिन में पूजा आराधना करनी चाहिए। धनतेरस में खरीदारी शुभ मानी जाती हैं। लक्ष्मी जी एवं गणेश जी कि चांदी कि प्रतिमा-सिक्को को इस दिन खरिदना……………..>>
>> Read Full Article Please Read GURUTVA JYOTISH  OCT-2011GURUTVA KARYALAY | GURUTVA JYOTISH
धनतेरसपूजामुहूर्त GURUTVA KARYALAY | GURUTVA JYOTISH
प्रदोष काल 2 घण्टे एवं 24 मिनट का होता हैं। अपने शहर के सूर्यास्त समय अवधि से लेकर अगले 2 घण्टे 24 मिनट कि समय अवधि को प्रदोष काल माना जाता हैं। अलग- अलग शहरों में प्रदोष काल के निर्धारण का आधार सूर्योस्त समय के अनुशार निर्धारीत करना चाहिये। धनतेरस के दिन प्रदोषकाल में दीपदान व लक्ष्मी पूजन करना शुभ रहता है।GURUTVA KARYALAY | GURUTVA JYOTISH
इस वर्ष 24 अक्तूबर, 2011 (धनतेरस) को भारतीय समय अनुशार नई दिल्ली में संध्या सूर्यास्त के बाद 05 बज कर 44 मिनिट से आरम्भ होकर रात के 08 बजकर 06 मिनट तक का समय प्रदोष काल रहेगा। इस समया अवधि में स्थिर लग्न  (वृषभ) भी मुहुर्त समय में होने के कारण घर-परिवार में स्थायी लक्ष्मी की प्राप्ति होती है।GURUTVA KARYALAY | GURUTVA JYOTISH
24 अक्तूबर, 2011 को प्रदोष काल में भी स्थिर लग्न (वृषभ राशि) हो रहा हैं, स्थिर लग्न का समय सबसे उतम माना जाता हैं। धन तेरस के दिन प्रदोष काल व स्थिर लग्न दोनों का संयोग संध्या 06:54:31 बजे से लेकर रात्री……………..>>
>> Read Full Article Please Read GURUTVA JYOTISH  OCT-2011
GURUTVA KARYALAY | GURUTVA JYOTISH
चौघाडियामुहूर्तGURUTVA KARYALAY | GURUTVA JYOTISH
·    अमृतमुहूर्तसुबह06:10 से07:37 तकGURUTVA KARYALAY | GURUTVA JYOTISH
·    शुभमुहूर्तसुबह 09.04 से10:32 तक
·                     ·    चलमुहूर्तदोपहर 01:34 से02:58 तक
·                    ·         लाभमुहूर्तदोपहर………
·                    ·          अमृतमुहूर्तदोपहर……….KARYALAY | GURUTVA JY…OTISH
·    चलमुहूर्तसंध्या……….
·                     ·   लाभमुहूर्तरात्री  …….……………..>>
>> Read Full Article Please Read GURUTVA JYOTISH  OCT-2011
शुभ महूर्त का समय धन तेरस की पूजा के लिये विशेष शुभ रहेगा। लाभ मुहूर्त पूजन करने से प्राप्त होने वाले लाभों में वृद्धि होती हैं। शुभ काल मुहूर्त कि शुभता से धन, स्वास्थय व आयु में वृद्धि होती हैं। सबसे अधिक शुभ अमृत काल में पूजा करने का होता हैं।GURUTVA KARYALAY | GURUTVA JYOTISH
नोट:उपरोक्त वर्णित सूर्यास्त का समय निरधारण नई दिल्ली के अक्षांश रेखांश के अनुशार आधुनिक पद्धति से किया गया हैं। इस विषय में विभिन्न मत एवं सूर्यास्त ज्ञात करने का तरीका भिन्न होने के कारण सूर्यास्त समय का निरधारण भिन्न हो सकता हैं। सूर्यास्त समय का निरधारण स्थानिय सूर्यास्त के अनुशार हि करना उचित होगा
>> गुरुत्वज्योतिष पत्रिका (अक्टूबर –2011)
OCT-2011
पाठको की पसंद

गुरु पुष्यामृत योग (20- October- 2011)

Guru Pushya Yoga/Guru Pushyaamrut Yoga, guru prushiyami yoga, guru pushya nakshatra, गुरु पुष्य योग, गुरु पुष्य नक्षत्र, 20- October- 2011, 20- अक्टूबर –2011

गुरु पुष्यामृत योग
20-अक्टूबर-2011 को प्रात:10:46 से से पुष्य नक्षत्र प्रारंभ हो रहा है। और दिन-रात रहेगा |

गुरु पुष्य योग के बारे में अधिक जानकारी हेतु इस लिंक परा क्लिक करें।

>>  गुरु पुष्य योग
>>  http://gurutvakaryalay.blogspot.com/2009/12/blog-post_2941.html

>> गुरु पुष्यामृत
>>  http://gurutvakaryalay.blogspot.com/2009/12/blog-post_18.html

>> गुरु पुष्य योग का महत्व
>> http://gurutvakaryalay.blogspot.com/2010/12/blog-post_23.html

करवा चौथ व्रत कथा और पूजन-विधि (15-अक्टूबर-2011)

करवाचौथव्रत,  पूजनविधि, पुजाविधान, કરવાચૌથવ્રત,  પૂજનવિધિ, પુજાવિધાન, ಕರವಾಚೌಥವ್ರತ,  ಪೂಜನವಿಧಿ, ಪುಜಾವಿಧಾನ, கரவாசௌதவ்ரத,  பூஜநவிதி, புஜாவிதாந,కరవాచౌథవ్రత,  పూజనవిధి, పుజావిధాన, കരവാചൗഥവ്രത,  പൂജനവിധി, പുജാവിധാന, ਕਰਵਾਚੌਥਵ੍ਰਤ,  ਪੂਜਨਵਿਧਿ, ਪੁਜਾਵਿਧਾਨ, করৱাচৌথৱ্রত,  পূজনৱিধি, পুজাৱিধান, କରବାଚୌଥବ୍ରତପୂଜନବିଧି, ପୁଜାବିଧାନ, करवाचौथव्रत,  पूजनविधि, पुजाविधान, Karva Chouth Vrat, pujan vidhi, poojan vidhan
करवाचौथव्रत (15अक्टूबर2011)
लेखसाभार: गुरुत्वज्योतिषपत्रिका (अक्टूबर-2011)

 कार्तिक मास कि चतुर्थी के दिन विवाहित महिलाओं द्वारा करवा चौथ का व्रत किया जाता है।  करवा का अर्थात मिट्टी के जल-पात्र कि पूजा कर चंद्रमा को अर्ध्य देने का महत्व हैं। इसीलिए यह व्रत करवा चौथ नाम से जाना जाता हैं।  इस दिन पत्नी अपने पति की दीर्घायु के लिये  मंगलकामना और स्वयं के अखंड सौभाग्य रहने कि कामना  करती हैं। करवा चौथ के पूरे दिन पत्नी द्वारा उपवास रखा जाता हैं। इस दिन रात्रि को जब आकाश में चंद्रय उदय से पूर्व सोलह सृंगार कर चंद्र निकलने कि प्रतिक्षा करती हैं। व्रत का समापन चंद्रमा को अर्ध्य  देने के साथ ही उसे छलनी से देखा जाता हैं, उसके बाद पति के चरण स्पर्श कर उनसे आशीर्वाद प्राप्त करती हैं। ऐसी मान्यता है कि इस व्रत को करने से महिलाएं अखंड सौभाग्यवती होती हैं, उसका पति दीर्घायु होता हैं।  GURUTVA KARYALAY | GURUTVA JYOTISH

यदि इस व्रत को पालन करने वाली पत्नी अपने पति के प्रति मर्यादा से,  विनम्रता से,  समर्पण के भाव से रहे और पति भी अपने समस्त कर्तव्य एवं धर्म का पालन सुचारु रुप से पालन करें, तो एसे दंपत्ति के जीवन में सभी सुख-समृद्धि से भरा जाता हैं। GURUTVA KARYALAY | GURUTVA JYOTISH

कथा :  एसी मान्यता हैं, कि भगवान श्रीकृष्ण ने द्रोपदी को यह व्रत का महत्व बताया था। पांडवों के वनवास के दौरान अर्जुन तप करने के लिए इंद्रनील पर्वत पर चले गए। बहुत दिन बीत जाने के बाद भी जब अर्जुन नहीं लौटे तो द्रोपदी को चिंता होने लगी। जब श्रीकृष्ण ने द्रोपदी को चिंतित देखा तो फौरन चिंता का कारण समझ गए। फिर भी श्रीकृष्ण ने द्रोपदी से कारण पूछा तो उसने यह चिंता का कारण श्रीकृष्ण के सामने प्रकट कर दिया। तब श्रीकृष्ण ने द्रोपदी को करवाचौथ व्रत करने का विधान बताया।  द्रोपदी ने श्रीकृष्ण से व्रत का विधि-विधान जान कर व्रत किय और उसे व्रत का फल मिला, अर्जुन सकुशल पर्वत पर तपस्या पूरी कर शीघ्र लौट आए।  GURUTVA KARYALAY | GURUTVA JYOTISH
पूजनविधि:  करवा चौथ के दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठ कर स्नान के स्वच्छ कपडे पहन कर करवा की पूजा-आराधना कर उसके साथ  शिव-पार्वती कि पूजा का  विधान हैं। क्योकि माता पार्वती नें कठिन तपस्या कर के शिवजी को प्राप्त कर अखंड सौभाग्य प्राप्त किया था। इस लिये शिव-पार्वती कि पूजा कि जाती हैं।  GURUTVA KARYALAY | GURUTVA JYOTISH

करवा चौथ के दिन चंद्रमा कि पूजा का धार्मिक और ज्योतिष दोनों ही द्रष्टि से महत्व है।

छांदोग्य उपनिषद् के अनुशार जो चंद्रमा में पुरुषरूपी ब्रह्मा कि उपासना करता है, उसके सारे पाप नष्ट हो जाते हैं, उसे जीवन में किसी प्रकार का कष्ट नहीं होता। उसे लंबी और पूर्ण आयु कि प्राप्ति होती हैं। GURUTVA KARYALAY | GURUTVA JYOTISH

ज्योतिष दृष्टि से चंद्रमा मन का कारक देवता हैं। अतः चंद्रमा चंद्रमा कि पूजा करने से मन की चंचलता पर नियंत्रित रहता हैं।  चंद्रमा के शुभ होने पर  से मन प्रसन्नता रहता हैं और मन से अशुद्ध विचार दूर होकर मन में शुभ विचार उत्पन्न होते हैं। क्योकि शुभ विचार ही मनुष्य को अच्छे कर्म करने हेतु प्रेरित करते हैं। स्वयं के द्वारा किये गई गलती या एवं अपने दोषों का स्मरण कर पति, सास-ससुर और बुजुर्गो के चरणस्पर्श इसी भाव के साथ करें कि इस साल ये गलतियां फिर नहीं हों।  GURUTVA KARYALAY | GURUTVA JYOTISH

>> गुरुत्वज्योतिष पत्रिका (अक्टूबर –2011)

OCT-2011

लक्ष्मी कृपा हेतु उत्तम हैं कोजागरी पूर्णिमा

मां लक्ष्मी, धन प्राप्ति, शरद पूर्णिमा, सोना-चाँदी, चांदी, लक्ष्मी जी को खीर का भोग,

कोजागरी पूर्णिमा (11अक्टूबर2011)
आश्विन मास की पूर्णिमा को कोजागर व्रतरखा जाता हैं। इस लिये इस पूर्णिमा को कोजागरी पूर्णिमा भी कहा जाता है।GURUTVA KARYALAY |  GURUTVA JYOTISH
इस दिन व्यक्ति विधिपूर्वक स्नान करके व्रत-उपवास रखने का विधान हैं। इस दिन श्रद्धा भाव से ताँबे या मिट्टी के कलश पर वस्त्र से ढँकी हुई स्वर्णमयी लक्ष्मी की प्रतिमा को स्थापित किया जाता हैं। फिर लक्ष्मी जी कि भिन्न-भिन्न उपचारों से पूज-अर्चना करने का विधान हैं। सायंकाल में चन्द्रोदय होने पर सोने, चाँदी अथवा मिट्टी के घी से भरे हुए दीपक जलाने कि परंपरा हैं।GURUTVA KARYALAY |  GURUTVA JYOTISH
इस दिन घी मिश्रित खीर को पात्रों में डालकर उसे चन्द्रमा की चाँदनी में रखा जाता हैं। एक प्रहर (३ घंटे) खीर को चाँदनी में रखनेके बाद में उसे लक्ष्मीजी को सारी खीर अर्पण कि जाती हैं। तत्पश्चात भक्तिपूर्वक सात्विक ब्राह्मणों को खीर का भोजन कराएँ और उनके साथ ही मांगलिक गीत गाकर तथा मंगलमय कार्य करते हुए रात्रि जागरण किया जाता हैं।GURUTVA KARYALAY |  GURUTVA JYOTISH
मान्यता हैं कि पूर्णिमा कि मध्यरात्रि में देवी महालक्ष्मी अपने हाथो में वर और अभय वरदान लिए भूलोक में विचरती हैं। इस दिन जो भक्तजन जाग रहा होता हैं उसे माता लक्ष्मी धन-संपत्ति प्रदान करती हैं।GURUTVA KARYALAY |  GURUTVA JYOTISH
>> गुरुत्वज्योतिष पत्रिका (अक्टूबर –2011)
OCT-2011

शरद पूर्णिमा आरोग्य प्राप्ति हेतु उत्तम हैं।

सरदपूर्णीमा2011,  Sharad Purnima (Harvest moon) good for Health recovery 2011 ,

शरदपूर्णिमा(11अक्टूबर2011)
लेखसाभार:गुरुत्वज्योतिषपत्रिका (अक्टूबर-2011)
हिंदू पंचांग के अनुसार पूरे वर्ष में बारह पूर्णिमा आती हैं। पूर्णिमा के दिन चंद्रमा अपने पूर्ण आकार में होता है। पूर्णिमा पर चंद्रमा का अतुल्य सौंदर्य देखते ही बनता है। विद्वानो के अनुसार पूर्णिमा के दिन चंद्रमा पूर्ण आकार में होने के कारण वर्ष में आने वाली सभी पूर्णिमा पर्व के समान हैं। लेकिन इन सभी पूर्णिमा में आश्विन मास कि पूर्णिमा सबसे श्रेष्ठ मानी गई है। यह पूर्णिमा शरद ऋतु में आने के कारण इसे शरद पूर्णिमा भी कहते हैं। शरद ऋतु की इस पूर्णिमा को पूर्ण चंद्र का अश्विनी नक्षत्र से संयोग होता है। अश्विनी जो नक्षत्र क्रम में प्रथम नक्षत्र हैं, जिसके स्वामी अश्विनीकुमार हैGURUTVA KARYALAY | GURUTVA JYOTISH
कथा के अनुशार च्यवन ऋषि को आरोग्य का पाठ और औषधि का ज्ञान अश्विनीकुमारों ने ही दिया था। यही ज्ञान आज हजारों वर्ष बाद भी हमारे पास अनमोल धरोहर के रूप में संचित है। अश्विनीकुमार आरोग्य के स्वामी हैं और पूर्ण चंद्रमा अमृत का स्रोत। यही कारण है कि ऐसा माना जाता है कि इस पूर्णिमा को ब्रह्मांड से अमृत की वर्षा होती है। GURUTVA KARYALAY | GURUTVA JYOTISH
खीर का भोगGURUTVA KARYALAY | GURUTVA JYOTISH
शरद पूर्णिमा की रात में गाय के दूध से बनी खीर को चंद्रमा कि चांदनी में रखकर उसे प्रसाद-स्वरूप ग्रहण किया जाता है। पूर्णिमा की चांदनी में अमृतका अंश होता है, इस लिये मान्यता यह है कि ऐसा करने से चंद्रमा की अमृत की बूंदें भोजन में आ जाती हैं जिसका सेवन करने से सभी प्रकार की बीमारियां आदि दूर हो जाती हैं। आयुर्वेद के ग्रंथों में भी इसकी चांदनी के औषधीय महत्व का वर्णन मिलता है। रखकर दूध से बनी खीर को चांदनी के में असाध्य रोगों की दवाएं खिलाई जाती है।GURUTVA KARYALAY | GURUTVA JYOTISH
शरद पूर्णिमा की कथा: GURUTVA KARYALAY | GURUTVA JYOTISH
एक साहुकार के दो पुत्रियाँ थी। दोनो पुत्रियाँ शरद पुर्णिमा का व्रत रखती थी। परन्तु बडी पुत्री पूरा व्रत करती थी और छोटी पुत्री अधुरा व्रत करती थी। परिणाम यह हुआ कि छोटी पुत्री की सन्तान पैदा होते ही मर जाती थी। उसने पंडितो से इसका कारण पूछा तो उन्होने बताया की तुम पूर्णिमा का अधूरा व्रत करती थी जिसके कारण तुम्हारी सन्तान पैदा होते ही मर जाती हैं। पूर्णिमा का पुरा विधिपुर्वक करने से तुम्हारी सन्तान जीवित रह सकती हैं। उसने पंतिडतो कि सलाह पर पूर्णिमा का पूरा व्रत विधिपूर्वक किया। उसके लडका हुआ परन्तु शीघ्र ही मर गया । उसने लडके को लकडी के पट्टे पर लिटाकर ऊपर से कपडा ढक दिया। फिर बडी बहन को बुलाकर लाई और बैठने के लिए वही पट्टा दे दिया। बडी बहन जब पीढे पर बैठने लगी जो उसका घाघरा बच्चे का छू गया, बच्चा घाघरा छुते ही रोने लगा। बडी बहन बोली तुम मुझे कंलक लगाना चाहती थी। मेरे बैठने से यह मर जाता तब छोटी बहन बोली यह तो पहले से मरा हुआ था। तेरे ही भाग्य से यह पुनः जीवित हो गया हैं । तेरे पुण्य से ही यह अभी जीवित हुआ हैं। उसके बाद से शरद पुर्णिमा का पूरा व्रत करने का प्रचलन चल निकला।GURUTVA KARYALAY | GURUTVA JYOTISH
>> गुरुत्वज्योतिष पत्रिका (अक्टूबर –2011)

OCT-2011