Archive for फ़रवरी, 2011
ज्योतिष और शिक्षा विद्या विचार
-
शास्त्रो के अनुशार बुध विद्या, बुद्धि और ज्ञान का स्वामी ग्रह हैं, इस लिये 12 वर्ष से 24 वर्ष की उम्र विद्याध्ययन की होती है, चाहे वह किसी प्रकार की विद्या हो, इस अविध को बुध का दशा काल माना जाता हैं।
-
जातक में विद्या की स्थिरता, अस्थिरता एवं विकास का आंकलन बृहस्पति (गुरु) से किया जाता हैं।
-
विदेशी भाषा एवं शिक्षा का विचार शनि की स्थिति से किया जाता हैं।
-
ज्योतिष के अनुशार असफलता का कारण बच्चें की जन्मकुंडली में चंद्रमा और बुध का अशुभ प्रभाव है।
सरस्वती पूजन से बच्चे बनते हैं महाबुद्धिमान?
सरस्वती के विभिन्न मंत्र से विद्या प्राप्ति
सरस्वती मंत्र:
भावार्थ: जो विद्या की देवी भगवती सरस्वती कुन्द के फूल, चंद्रमा, हिमराशि और मोती के हार की तरह श्वेत वर्ण की हैं और जो श्वेत वस्त्र धारण करती हैं, जिनके हाथ में वीणा-दण्ड शोभायमान है, जिन्होंने श्वेत कमलों पर अपना आसन ग्रहण किया है तथा ब्रह्मा, विष्णु एवं शंकर आदि देवताओं द्वारा जो सदा पूजित हैं, वही संपूर्ण जड़ता और अज्ञान को दूर कर देने वाली माँ सरस्वती आप हमारी रक्षा करें।
सरस्वती मंत्र तन्त्रोक्तं देवी सूक्त से :
विद्या प्राप्ति के लिये सरस्वती मंत्र:
घंटाशूलहलानि शंखमुसले चक्रं धनुः सायकं हस्ताब्जैर्दघतीं धनान्तविलसच्छीतांशु तुल्यप्रभाम्।
गौरीदेहसमुद्भवा त्रिनयनामांधारभूतां महापूर्वामत्र सरस्वती मनुमजे शुम्भादि दैत्यार्दिनीम्॥
भावार्थ: जो अपने हस्त कमल में घंटा, त्रिशूल, हल, शंख, मूसल, चक्र, धनुष और बाण को धारण करने वाली, गोरी देह से उत्पन्ना, त्रिनेत्रा, मेघास्थित चंद्रमा के समान कांति वाली, संसार की आधारभूता, शुंभादि दैत्य का नाश करने वाली महासरस्वती को हम नमस्कार करते हैं। माँ सरस्वती जो प्रधानतः जगत की उत्पत्ति और ज्ञान का संचार करती है।
अत्यंत सरल सरस्वती मंत्र प्रयोग:
प्रतिदिन सुबह स्नान इत्यादि से निवृत होने के बाद मंत्र जप आरंभ करें। अपने सामने मां सरस्वती का यंत्र या चित्र स्थापित करें । अब चित्र या यंत्र के ऊपर श्वेत चंदन, श्वेत पुष्प व अक्षत (चावल) भेंट करें और धूप-दीप जलाकर देवी की पूजा करें और अपनी मनोकामना का मन में स्मरण करके स्फटिक की माला से किसी भी सरस्वती मंत्र की शांत मन से एक माला फेरें।
सरस्वती मूल मंत्र:
ॐ ऎं सरस्वत्यै ऎं नमः।
सरस्वती मंत्र:
ॐ ऐं ह्रीं क्लीं महासरस्वती देव्यै नमः।
सरस्वती गायत्री मंत्र:
१ – ॐ सरस्वत्यै विधमहे, ब्रह्मपुत्रयै धीमहि । तन्नो देवी प्रचोदयात।
२ – ॐ वाग देव्यै विधमहे काम राज्या धीमहि । तन्नो सरस्वती: प्रचोदयात।
ज्ञान वृद्धि हेतु गायत्री मंत्र :
ॐ भूर्भुवः स्वः तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो नः प्रचोदयात्।
परीक्षा भय निवारण हेतु:
ॐ ऐं ह्रीं श्रीं वीणा पुस्तक धारिणीम् मम् भय निवारय निवारय अभयम् देहि देहि स्वाहा।
स्मरण शक्ति नियंत्रण हेतु:
ॐ ऐं स्मृत्यै नमः।
विघ्न निवारण हेतु:
ॐ ऐं ह्रीं श्रीं अंतरिक्ष सरस्वती परम रक्षिणी मम सर्व विघ्न बाधा निवारय निवारय स्वाहा।
स्मरण शक्ति बढा के लिए :
ऐं नमः भगवति वद वद वाग्देवि स्वाहा।
परीक्षा में सफलता के लिए :
१ – ॐ नमः श्रीं श्रीं अहं वद वद वाग्वादिनी भगवती सरस्वत्यै नमः स्वाहा विद्यां देहि मम ह्रीं सरस्वत्यै स्वाहा।
२ -जेहि पर कृपा करहिं जनु जानी, कवि उर अजिर नचावहिं बानी।
मोरि सुधारिहिं सो सब भांती, जासु कृपा नहिं कृपा अघाती॥
हंसारुढा मां सरस्वती का ध्यान कर मानस-पूजा-पूर्वक निम्न मन्त्र का २१ बार जप करे-”
विद्या प्राप्ति एवं मातृभाव हेतु:
विद्या: समस्तास्तव देवि भेदा: स्त्रिय: समस्ता: सकला जगत्सु।
त्वयैकया पूरितमम्बयैतत् का ते स्तुति: स्तव्यपरा परोक्तिः॥
अर्थातः- देवि! विश्वकि सम्पूर्ण विद्याएँ तुम्हारे ही भिन्न-भिन्न स्वरूप हैं। जगत् में जितनी स्त्रियाँ हैं, वे सब तुम्हारी ही मूर्तियाँ हैं। जगदम्ब! एकमात्र तुमने ही इस विश्व को व्याप्त कर रखा है। तुम्हारी स्तुति क्या हो सकती है? तुम तो स्तवन करने योग्य पदार्थो से परे हो।
उपरोक्त मंत्र का जप हरे हकीक या स्फटिक माला से प्रतिदिन सुबह १०८ बार करें, तदुपरांत एक माला जप निम्न मंत्र का करें।
देवी सरस्वती के अन्य प्रभावशाली मंत्र
एकाक्षरः
द्वियक्षर:
त्र्यक्षरः
चतुर्क्षर:
नवाक्षरः
दशाक्षरः
एकादशाक्षरः
एकादशाक्षर-चिन्तामणि-सरस्वतीः
एकादशाक्षर-पारिजात-सरस्वतीः
द्वादशाक्षरः
अन्तरिक्ष-सरस्वतीः
षोडशाक्षरः
अन्य मंत्र
• ॐ नमः पद्मासने शब्द रुपे ऎं ह्रीं क्लीं वद वद वाग्दादिनि स्वाहा।
• “ॐ ऐं ह्रीं श्रीं क्लीं सरस्वत्यै बुधजनन्यै स्वाहा”।
• “ऐंह्रींश्रींक्लींसौं क्लींह्रींऐंब्लूंस्त्रीं नील-तारे सरस्वति द्रांह्रींक्लींब्लूंसःऐं ह्रींश्रींक्लीं सौं: सौं: ह्रीं स्वाहा”।
• “ॐ ह्रीं श्रीं ऐं वाग्वादिनि भगवती अर्हन्मुख-निवासिनि सरस्वति ममास्ये प्रकाशं कुरु कुरु स्वाहा ऐं नमः”।
• ॐ पंचनद्यः सरस्वतीमयपिबंति सस्त्रोतः सरस्वती तु पंचद्या सो देशे भवत्सरित्।
उपरोक्त आवश्यक मंत्र का प्रतिदिन जाप करने से विद्या की प्राप्ति होती है।
नोट :
स्नान आदि से निवृत्त होकर स्वच्छ कपडे पहन कर मंत्र का जप प्रतिदिन एक माला करें।
ब्राह्म मुहूर्त मे किये गए मंत्र का जप अधिक फलदायी होता हैं। इस्से अतिरीक्त अपनी सुविधाके
अनुशार खाली में मंत्र का जप कर सकते हैं।
मंत्र जप उत्तर या पूर्व की ओर मुख करके करें।
जप करते समय शरीर का सीधा संपर्क जमीन से न हो इस लिए ऊन के आसन पर बैठकर जप
विद्या प्राप्ति में रुकावट के योग
शिक्षा प्राप्ति में बाधा के योग
फलदीपिका के अनुशार
अर्थातः धन, विद्या, वाणी एवं स्वयं के अधिकार की वस्तु इत्यादि का विचार द्वितीय भाव से करना चाहिए।
शिक्षा में अवरोध उत्पन्न करने वाले कारण
विद्या प्राप्ति में आनेवाली बाधाओं से मुक्ति के लिये ग्रह शांति के उपाय करने चाहिए।
शिक्षा प्राप्ति की बाधाएं दूर करने के उपाय
यदि जन्म कुंडली में उच्च शिक्षा का योग हो, किंतु विद्याध्ययन के समय अशुभ ग्रह की दशा के कारण रुकावटे आने का योग हो या रुकावटे आरही हो, तो संबंधित ग्रह की शांति हेतु ग्रह से संबंधित यंत्र को अपने घर में स्थापित करना लाभदायक होता हैं। ग्रहो के अशुभ प्रभाव को कम करने हेतु अन्य उपायो को भी अपनाया जासकता हैं।
बच्चे को विद्वान बनाने के लिये प्रति बुधवार या पंचमी के दिन चांदी की शलाका को मधु में डुबाकर बच्चे की जिह्वा(जीभ) पर “ऎं” मंत्र लिखे।
लग्न के अनुशार रत्न धारण से विद्या प्राप्ति
मेष लग्न वाले जातक को विद्या प्राप्ति हेतु माणिक्य धारण करना चाहिये।
वृष लग्न वाले जातक को विद्या प्राप्ति हेतु पन्ना धारण करना चाहिये।
मिथुन लग्न वाले जातक को विद्या प्राप्ति हेतु हीरा धारण करना चाहिये।
कर्क लग्न वाले जातक को विद्या प्राप्ति हेतु मूंगा धारण करना चाहिये।
सिंह लग्न वाले जातक को विद्या प्राप्ति हेतु पीला पुखराज धारण करना चाहिये।
कन्या लग्न वाले जातक को विद्या प्राप्ति हेतु नीलम धारण करना चाहिये।
तुला लग्न वाले जातक को विद्या प्राप्ति हेतु नीलम धारण करना चाहिये।
वृश्चिक लग्न वाले जातक को विद्या प्राप्ति हेतु पीला पुखराज धारण करना चाहिये।
धनु लग्न वाले जातक को विद्या प्राप्ति हेतु मूंगा धारण करना चाहिये।
धनु लग्न वाले जातक को विद्या प्राप्ति हेतु हीरा धारण करना चाहिये।
कुंभ लग्न वाले जातक को विद्या प्राप्ति हेतु पन्ना धारण करना चाहिये।
मीन लग्न वाले जातक को विद्या प्राप्ति हेतु मोती धारण करना चाहिये।
परीक्षा में मनोनुकूल फल प्राप्त करने हेतु तो किसी मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी से लेकर अगले कृष्ण पक्ष की पंचमी तक अर्थात 15 दिन तक गणेश जी को १०८ दूर्वा ……………..>>
वसंत पंचमी के दिन सरस्वती जी की पूजा करने के बाद स्फटिक माला ……………..>>
गुरुवार के दिन धर्मिक स्थान पर ……………..>>
बुधवार एवं गुरुवार को किसी जरुर मंद बच्चे को शिक्षा से सांबंधित सहायता करने से लाभ प्राप्त होता हैं।
विद्या प्राप्ति हेतु श्री गणेशजी के द्वादश नाम का स्मरण करने से शिक्षा से सांबंधित संमस्याएं दूर होती हैं। अतः प्रतिदिन स्नान कर स्वच्छ कपडे पहन कर गणेशजी की प्रतिमा या चित्र के सामने इस श्लोक का अपनी श्रद्धा के अनुशार पाठ करें।
प्रतिमाह दोनो पक्षो की गणेश चतुर्थी को गणेश जी की विधिवत पूजा-अर्चना करके ॐ गं गणेशाय नमः या गं गणेपतये नमः मंत्र का १०८ बार जप करने से विद्या लाभ होता हैं।
अन्य उपाय
सरस्वती से संबंधित मंत्र का नियमित जप करने से विद्या में सफलता के लिए निम्नोक्त मंत्र का जप करना चाहिए।
इसके साथ ही बुद्धि के प्रमुख देवता प्रथम पूज्य विध्न विनाशक श्री गणेशजी का ध्यान करने से विद्या और बुद्धि का विकास होता हैं एवं विद्याअध्ययन में आने वाली बाधाएं दूर होती हैं।
यदि जातक में शिक्षा से संबंधित ग्रह शुभ हो कर निर्बल हो और अपना शुभ प्रभाव देने में असमर्थ हो, तो उसे बल प्रदान करने के लिए उससे संबंधित ग्रह का रत्न भी धारण किया जा सकता है।
यदि जातक का की रुचि शिक्षा के प्रति कम हो, तो उसे ……………..>>
यदि जातक का की रुचि शिक्षा के प्रति कम हो, स्मरण शक्ति एवं तर्क शक्ति बढाने के लिए ……………..>>
……………..>>
>> Read Full Article Please Read GURUTVA JYOTISH February-2011
संपूर्ण लेख पढने के लिये कृप्या गुरुत्व ज्योतिष ई-पत्रिका फरवरी-2011 का अंक पढें।
इस लेख को प्रतिलिपि संरक्षण (Copy Protection) के कारणो से यहां संक्षिप्त में प्रकाशित किया गया हैं।
>> गुरुत्व ज्योतिष पत्रिका (फरवरी-2011)
FEB-2011
>> http://gk.yolasite.com/resources/GURUTVA%20JYOTISH%20FEB-201.pdf
विद्या प्राप्ति के विलक्षण उपाय(टोटके)
अन्य अचूक प्रभावशाली उपाय
प्रश्न पत्र पर पर कुछ भी लिखने से पूर्व उपर छोटे अक्षरो में ………………….
उपरोक्त प्रयोग के करने से अवश्य लाभ प्राप्त होता हैं।
……………..>>
>> Read Full Article Please Read GURUTVA JYOTISH February-2011
संपूर्ण लेख पढने के लिये कृप्या गुरुत्व ज्योतिष ई-पत्रिका फरवरी-2011 का अंक पढें।
इस लेख को प्रतिलिपि संरक्षण (Copy Protection) के कारणो से यहां संक्षिप्त में प्रकाशित किया गया हैं।
>> गुरुत्व ज्योतिष पत्रिका (फरवरी-2011)
FEB-2011
>> http://gk.yolasite.com/resources/GURUTVA%20JYOTISH%20FEB-201.pdf
ज्योतिष में विद्या प्राप्ति एवं उच्च शिक्षा के योग
>> गुरुत्व ज्योतिष पत्रिका (फरवरी-2011)
FEB-2011
>> http://gk.yolasite.com/resources/GURUTVA%20JYOTISH%20FEB-201.pdf
गणेश चतुर्थी व्रत (विनायकी चतुर्थी) 7-फरवरी-2011
गणेश चतुर्थी व्रत के बारें में अधिक जानकारे हेतु यहां क्लिक करें
>> http://gurutvakaryalay.blogspot.com/2010/02/blog-post_1765.html